कोरोना की इस महामारी में आयुष्मान खुराना ने सफाई कर्मिंयों के लिए लिख डाली यह स्पेशल कविता...!
इन दिनों मोस्ट टैलेंटेड एक्टर, सिंगर और राइटर आयुष्मान खुराना अपने क्वांटराइन के पलों का उपयोग कुछ ना कुछ क्रिएटिव वर्क करके, कर रहे हैं।
हाल के दिनों इन्होनें बहुत सी कविताएं चाहे वह खुद की लिखी हो या औरों की उसे अपने फैन्स के साथ सोशल साइट्स के जरिये लगातार शेयर किया है।
इसी कड़ी में इनकी नई कविता "हमें तो घर पर बैठना है" को इंस्टा पर पोस्ट करते हुए इन्होंने सोसाइटी के सबसे अहम और खास वर्ग को सलामी दी है। वो सेगमेंट कोई और नहीं हमारे रोजमर्रा के जीवन में हमसे मिलने वाले, हमारे लिए काम करने वाले हमारे सफाई कर्मी हैं।
सफाई कर्मियों को कुछ यूं दी सलामी-
इन्होनें हाल ही में एक कविता लिखी है जिसका शीर्षक है "हमें तो घर पर बैठना है"। यह कविता इन्होंने अपने इंस्टा पर पोस्ट की है, जो जबरदस्त तरीके से वायरल हो रही है। इस कविता की पंक्तियां अपने आप ही समाज के एक बहुत बड़े दर्द को बहुत ही आसान से शब्दों में बयां करती है। यह आज के बने इस जानलेवा हालात पर भी बड़े तीक्ष्ण ढ़ंग से प्रहार करती है। जी हां, यह सच है कि जब भी बुरा दौर आता है उसमें पिसता आम आदमी ही है। आज हालात बद से बदतर हो चुके हैं फिर भी सलाम है उन सफाई कर्मिंयों को जो अपनी जान की परवाह किये बिना हर दिन कूड़ा उठा रहे हैं। अपने बच्चों की खातिर अपनी जान जोखिम में डाल उन्हीं के लिए उन्हीं से दूरी बना रहे हैं। पर हम मगरूर इंसान, धन में मशगूल इंसान हमें क्या खबर उनके किये गए इस अमूल्य कर्मों की। हमने कभी उन्हें इज्जत नहीं दी पर आज वही हमारे काम आ रहे हैं। इस देश को हमेशा गरीबों ने ही चलाया है आज, कल और आने वाले कल में भी वही चलायेगा। हमें क्या है हमें तो बस घर में बैठना है। आयुष्मान ने आज के इस हालात की जिम्मेवारी भी इंसानों पर ही थोपी है जो बहुत हद तक सही जान पड़ती है। और अन्त में खुद को ना हीरो मानकर इन सफाई कर्मिंयों को असली हीरो माना। सच्ची सलामी अपने शब्दों के जरिये आयुष्मान ने जो दी है वह सचमुच ही भावुक करने वाला है।
इनकी हालिया एक से बढ़कर एक बेहतरीन फिल्मों की लिस्ट-
अगर आप इस लॉक डाउन में कुछ अच्छी और बेहतरीन फिल्मों का लुफ्त उठाना चाहते हैं तो आयुष्मान की फिल्मों को देखना आपके लिए एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। फिल्म "विकी डोनर' 'दम लगा के हइसा', 'आर्टिकल 15', 'बधाई हो', 'बाला', 'शुभमंगल सावधान' साथ ही हालिया रिलीज 'शुभ मंगल ज्यादा सावधान' ये एक से बढ़कर एक मास्टर पीस फिल्में हैं, जो इंटरटेन करने के साथ-साथ पर्दे पर आम आदमी के बहुत ही बेसिक पर मोस्ट इम्पॉटेंट बातों पर कटाक्ष करती है। तो आप भी इन फिल्मों का लुफ्त इन क्वांटराइन के दिनों में उठा सकते हैं।
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