जब आपकी बहू हो खर्चीली
अगर सास के पास तजुर्बा है, तो बहू के पास आज के ज़माने की समझदारी है। ऐसे में हमें नई बहू को कुछ वक्त देना चाहिए, ताकि वो घर के माहौल को समझे और उसके मुताबिक खर्चा करें। दरअसल, सास बहू से बहुत सी अपेक्षााएं करने लगती है, जो गलत तो नहीं हैं मगर थोड़ा जल्दी ज़रूर है । ऐसे में बहू को वक्त देने में ही समझदारी है।
रात के नौ बज चुके थे, मगर बेटा और बहू अब तक घर नहीं लौटे थे। चितिंत मां बालकोनी से बेडरूम तक न जाने कितने चक्क्र लगा चुकी थी। तभी दरवाजे़ की घंटी बजी और मां ने बोला दुलारी दरवाज़ा खोलो देखो भईया आए होंगे।
दुलारी भागकर दरवाज़े की ओर दौड़ी और दरवाज़ा खोला। सामने देखा तो रोहन और सुनैना दोनों के हाथों में ढ़ेर सारे शापिंग बैगस थे। दुलारी ढेर सारा सामान हाथों में लिए लड़खड़ाती हुई अंदर घुसी और सोफेे पर सामान रखकर दोबारा रसोईघर में काम करने लगी।
तभी माजी बाहर आईं और बोली अरे आज तो लगता है खूब खरीददारी हुई है। माजी को देखते ही सुनैना बोली प्रणाम माजी, बस यूं ही आफिस के बाद शापिंग माल चले गए थे, तो वहां से सबके लिए कुछ सामान ले आए।
शापिंग बैगस देखकर माजी परेशान तो जरूर थीं। मगर उन्होंने उस बात का एहसास बेटे और बहू को नहीं होने दिया और वो उसी सोफे के कोने पर बैठ गइ। बैगस को दूसरी तरफ खिसकाते हुए बोलीं अरे हमारी बहूरिया को क्या दिलाया रोहन।
अरे कहां मा, आज तो आपकी बहू ने बिल की पेमेंट की है। आज वो अपनी सैलरी से आप सब के लिए शापिंग करके आई है। देखो मां आपके लिए स्मार्टफोन लिया है। अब आप आराम से भजन और कथा इस फोन पर भी सुन पाएंगी। ये देखो मां सुनैना ने डैड के लिए कितनी बढ़िया घड़ी खरीदी है।
मां ने हाथ में घड़ी पकड़ी और कुछ देर देखने के बाद बोलीं, मन ही मन सोचने लगीं कि ये तो बहुत मंहगी होगी। फिर कुछ देर बाद बोली अरे ये तो बहुत खूबसूरत है, तुम्हारे पिताजी को खूब पसंद आएगी।
तभी माजी बोली हमारी दुलारी के लिए क्या लाई हो सुनैना
सुनैना ने एक लिफाफे में से दुलारी केे लिए कुछ कपड़े निकाले और माजी को पकड़ा दिए और बोली माजी आप ये दुलारी को अपने हाथों से दे दीजिए, वो खुश हो जाएगी।
अब ये सुनते ही माजी ने दुलारी को आवाज़ लगाई अरे देखो दूलारी तुम्हारे लिए क्या आया है।
रसोई का काम निपटा कर दुलारी बाहर आई और माजी ने उसे कपड़े पकड़ा दिए।
मन नही मन दुलारी बहुत खुश हुई और भाभी को थैक्यू बोला। तभी माजी ने बहू को अपने पास बुलाया और कहा, अरे ये तो बताओ की तुम अपने लिए क्या लाई हो। तभी सुनैना ने अपने लिए खरीदा हुआ सामान माजी को दिखाया। सब सामान देखकर माजी ने रोहन को भी अपने पास बैठाया और समझाया कि बेटा बहू को जो भी सामान चाहिए, वो तुम खुद उसकी पेमेंट करो। अब ये तुम्हारी जिम्मेदारी है और इसकी हर जरूरत तुम्हारे मालूम होनी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने सुनैना को भी समझाया कि तुम अपने पैसों को सेव करो और जो भी चाहिए वो तुम्हें रोहन दिलाएगा । माजी ने सुनैना का हाथ पकड़कर कहा कि बहू मुझे सभी उपहार बहुत पसंद आए हैं। मगर आगे से तुम ये खर्चा नहीं करोगी और सभी बिल रोहन अपनी सैलरी से देगा।
अब ये सुनकर सुनैना एक तरफ गर्व महसूस कर रही थी। तो दूसरी ओर उसे अपनी गलती का पछतावा भी हुआ। माजी की सीख भरी बातें सुनकर वो अंदर ही अंदर खुद से वादा कर चुकी थी कि आगे से जरूरत के मुताबिक ही खरीदादारी करेंगी और अपनी सैलरी सेव करेंगी।
अगर आपकी बहू भी खर्चीली है, तो अपनाएं ये टिप्स
बहू को बैठाकर समझाएं
बहू को अकेले में बैठकर घर की जिम्मेदारियों का एहसास कराएं और समझाएं कि फिजूलखर्च आगे चलकर उनके लिए कैसे परेशानी बन सकता है। उन्हें घर का बजट बनाना सिखाएं, जिससे वो खुद ब खुद पैसे की अहमियत को समझने लगेगी और जरूरत के मुताबिक खर्चा करना शुरू करेगी।
झगड़ा न करें
गुस्सा यां झगड़ा किसी परेशानी का उपाय नहीं है। अगर आप अपनी बहू के खर्चांें से परेशान रहती है, तो उसे ताने मारने की बजाय प्यार से समझाए।ं सास बनने के बाद एक स्त्री ये भूल जाती है कि अगर आज मैं सास हूं, तो कभी बहू भी थी। मेरे भी उस वक्त अरमान हुआ करते थे। तो जैसे मैं खरीददारी करती थी, यां पति के साथ घूमती फिरती थी। वैसी आज़ादी मुझे अपनी बहू को भी देनी चाहिए। इस तरह की सोच न सिर्फ घर के टूटने से बचाएगी, बल्कि रिश्तों में बढ़ रही कड़वाहट को भी रोक पाएगी।
बहू को थोड़ा वक्त दें
अगर सास के पास तजुर्बा है, तो बहू के पास आज के ज़माने की समझदारी है। ऐसे में हमें नई बहू को कुछ वक्त देना चाहिए, ताकि वो घर के माहौल को समझे और उसके मुताबिक खर्चा करें। दरअसल, सास बहू से बहुत सी अपेक्षााएं करने लगती है, जो गलत तो नहीं हैं मगर थोड़ा जल्दी ज़रूर है । ऐसे में बहू को वक्त देने में ही समझदारी है।
बहू के खर्चों को पहचानें
सबसे पहले इस बात पर ध्यान दें कि बहू किन चीजों पर खर्च कर रही है। क्या वो चीजें जरूरत की हैं या फिर नहीं। अगर जरूरत की चीजें हैं और मंहगी है, तो बहू को सस्ते विकल्प के बारे में बताएं। अगर इस्तेमाल की नहीं है, तो फिर भी उन चीजों को घर में रखें लेकिन साथ ही साथ बहू को सचेत करें कि इन चीजो का इस्तेमाल ज्यादा नहीं है और वो आपसे सलाह करके चीजें मगांए।
बहू से मित्रता करें
अगर आपकी बहू आपकी दोस्त बन जाएगी, तो जाहिर है कि वो आपके करीब आ जाएगी। ऐसे में वो आपसे हर बात साझा कर सकेगी। तो हमेशा बहू से नज़दीकी बनाएं, ताकि आप उसके साथ शापिंग पर जा सके और उसे सही और गलत चीजों की खरीददारी में फर्क समझा पाएं।
उन्हें निर्णय खुद लेना होगा
यह भी ध्यान रखें कि आप सिर्फ अपनी चिंता और भावनाएं जाहिर कर सकती हैं। उन्हें अपने निर्णय खुद लेने देंए क्योंकि वे अडल्ट हैं और अपना पैसा खुद कमा रहे हैं। ऐसे में किसी को उसी का पैसा खर्च करने से रोकने की कोशिश करना अपमान करने जैसा हो सकता है। हर किसी का जीवन जीने का अपना तरीका होता हैए इसलिए उन पर कुछ दबाव डालने की जगह अपनी चिंता जाहिर करें और उन्हें फैसला लेने दें।
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