9th January 2021
अगर आपको स्वेटर बुनने का शौक है तो ऊन की परख भी होगी। फिर भी कभी-कभार जल्दबाजी में या रात के समय ऊन खरीदने में धोखा हो ही जाता है। इसलिए ऊन की खरीदारी संबंधी हमारे कुछ सुझाव आपकेकाम आ सकते हैं।
बाजार में हजारों किस्म की ऊन उपलब्ध है, मगर अच्छे किस्म की ऊन वही खरीद सकता है, जिसे यह पता हो कि अच्छी ऊन कौन सी है और किस उम्र के लिए किस प्रकार की उन खरीदनी चाहिए। तो आइए जाने कि किस प्रकार की ऊन उम्दा किस्म की है-
बुनाई कला की पहली क्लास में ऊन के बारे में तो आपको पूरी जानकारी मिल गई। अब दूसरी क्लास में हम बताते हैं कि ऊन खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखें और किस तरह से ऊन खरीदें।
महिलाएं जब रेडीमेड स्वेटर को देखती हैं तो सोचती हैं कि हमारे स्वेटर इतने सफाई से क्यों नहीं बनते। अगर वे स्वेटर बुनते समय इन बातों का ध्यान रखें तो उनके बुने हुए स्वेटर भी रेडीमेड स्वेटर के जैसे बेहतरीन बन सकते हैं-
जब आप बुनाई सीखना शुरू कर रहे हैं, तो यह जानना मुश्किल हो सकता है कि किसी भी बुनाई पैटर्न कैसे समझा जाए। कोई पैटर्न बुनने से पहले उसे बनाने की तकनीक को पूरी तरह पढ़ें। इससे आपको परिधान के अन्तिम रूप और उसमें इस्तेमाल होने वाली तकनीक का पता चल जाएगा। अधिकतर डिज़ाइनों में नीचे दिए घटक शामिल होते हैं-
डिज़ाइनों में वयस्कों के लिए छाती का नाप इंचों या सेंटीमीटर में और बच्चों का नाप उम्र के हिसाब से दिया होता है। फिर भी यदि दिखाई गई पोशाक आपकी आवश्यकता से बड़ी या छोटी हो तो डाले गए फंदों को घटा अथवा बढ़ा कर उसे छोटा अथवा बड़ा किया जा सकता है।
यार्न की मात्रा, सलाइयों, बटन आदि सहित पोशाक के निर्माण के लिए आवश्यक सामग्री शामिल होती है।
डिज़ाइन के निर्माण में खिंचाव बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है, जो पोशाक के सही माप को निर्धारित करता है। यदि आप पोशाक का नाप बिल्कुल सही चाहते हैं, तो प्रति वर्ग सेंमी./इंच में डिज़ाइन में बताए गए फंदे ही आने चाहिए। उदाहरण के तौर पर यदि दिया गया खिंचाव 25 फंदे & 30 पंक्तियां=10&10 सेंमी. 8 नं. की सलाइयों पर स्टाकिंग स्टिच में बुनते हुए, उसे 8 नं. की सलाइयों से उसी प्रकार बनाने की कोशिश करें।
कहे गये फंदों से ज्यादा फंदे डालें (इस मामले में 25 फंदे) और निर्धारित सलाइयों (8 नं. की) का इस्तेमाल करते हुए कुछ और पंक्तियां बुनें। यह काम स्टॉ.स्टि. में बुन कर बंद कर दें। बुने गये भाग को समतल स्थान पर रख कर निर्धारित फंदे गिन कर दोनों ओर एक-एक पिन लगा दें। इन दोनों पिनों के बीच की दूरी 10 सेमी. होनी चाहिए। यदि यह ज्यादा है तो आपके हाथ का खिंचाव डिज़ाइनर के हाथ के खिंचाव से ज्यादा है। छोटी सलाइयां लगाकर दोबारा बुनें। ज़रूरत पड़ने पर तब तक दोहराएं, जब तक खिंचाव सही न हो जाए। पंक्तियों के लिए भी यही प्रक्रिया दोहराएं।
सं.- सलाई, फं.-फंदे/फंदा, सी.-सीधा, उ.-उल्टा, सेमी.-सेंटीमीटर, मी.-मीटर, नं.-नंबर, लं.-लम्बा या लम्बाई, स्टा.स्टि.-स्टाकिंग स्टिच (1 सलाई सीधी, 1 सलाई उल्टी) क्रॉ.स्टि.-क्रॉस स्टिच, गा.स्टि.-गार्टर स्टिच, प्रत्येक सलाई में सभी फं. उल्टे, सिं.रि.-सिंगल रिब (हर सलाई में 1 फंदा सीधा 1 फंदा उल्टा), ड.क्रो.-डबल क्रोशिया, ट्रे.- ट्रेबल (क्रोशिया बनाते समय एक लूप में से धागे को तीन बार निकालना), चे.-चेन, स्लि.स्टि.-स्लिप स्टिच, स्टि.हो.-स्टिच होल्डर, मॉ.स्टि.-मॉस स्टिच, ध.अ.क.-धागा आगे करके।
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