चलो जम्मू, घूमो जम्मू
जम्मू घूमने की ऐसी जगह है, जो आपकी यात्रा को यादगार बना देगी। इस शहर में प्राकृतिक सुंदरता तो है ही ऐतिहासिक और धार्मिक अहमियत से भी आप रूबरू हो सकेंगी।
जम्मू-कश्मीर की शीतकाल की राजधानी जम्मू तवी नदी के किनारे बसा है और अक्सर लोग वैष्णो देवी के दर्शन करने जाते हुए यहां भी रुक जाते हैं। लेकिन ये शहर खुद भी घूमने वालों के लिए जन्नत जैसा है। यहां कई सारे ठिकाने हैं, जहां घूमने के बाद आप शायद इस जगह को भूल ही न पाएं। हिमालय की गोद में बसा ये शहर अपने आप में ढेर सारी प्राकृतिक सुंदरता समेटे हुए है। यहां कई किले हैं तो झीलें भी। ऐतिहासिक अहमियत भी है इस शहर की तो आध्यात्मिक भी। आपको महाभारत काल से जुड़ी झील मिल जाएगी तो सैंकड़ों साल पहले बना मंदिर भी। कुल मिलाकर इस शहर को घूमने की प्लानिंग जरूर की जानी चाहिए। हाल ही में 41वां वर्ल्ड टूरिज्म डे मनाया गया है। इस दिन को खास तरह से मनाने के लिए जम्मू टूरिज्म बोर्ड ने भी खास कार्यक्रम आयोजित किए थे। इस मौके पर हम आपके लिए ले आए हैं जम्मू शहर से कुछ बेहतरीन ठिकाने, जहां एक बार घूमने के बाद जिंदगीभर आप भूल नहीं पाएंगे। चलिए इनसे रूबरू होते हैं-
सुरिनसार झील का मनोरम दृश्य-
जम्मू शहर से 42 किलोमीटर दूर बसी इस झील का नाता महाभारत से है। इस झील के चारों तरफ घने जंगल हैं तो पहाड़ भी। इसको मनसार झील के साथ जुड़वा माना जाता है। मनसार झील यहां से 9 किलोमीटर दूर बसी है। इन्हीं दोनों झील के बीच में सुरिनसार मनसार वाइल्डलाइफ सेंचुरी भी है। माना जाता है कि ये सुरिनसार झील महाभारत के अर्जुन से जुड़ी हुई है। दरअसल जानकारों की मानें तो अर्जुन ने मनसार झील की जमीन पर तीर दागा था। फिर जब वहां से पानी निकला तो सुरिनसार झील बनी। पहले पहल इसे सुरंग सर कहा गया फिर बाद में इसे अभी का नाम मिला। यहां पक्षियों की कई प्रजातियां भी देखी जा सकती हैं। यहां आने के बाद इस जगह का सुकून आपको यहीं रुक जाने को कह सकता है इसलिए ‘होल्ड योर सेल्फ'।
खूबसूरत अमर महल पैलेस -
ये जम्मू शहर के बहुत अहम लैंडमार्क जैसा है। बाहर से इसका नजारा तो कुछ ऐसा लगता है मानो आप विदेशी जमीन पर आ गए हों। ये एक ऐतिहासिक और बहुत सुंदर कलाकारी से बनी जगह है, जो आपको जरूर लुभाएगी। 19वीं शताब्दी में बने इस महल में फ्रेंच आर्किटेक्ट का इस्तेमाल किया गया है, जो अपने आप में अनोखा है और मानो कई सेंचुरी पीछे का इतिहास खुद में समेटे हुए है। इसको डूगरा राजा राज अमर सिंह ने बनाया था। जिनके नाम पर इस महल का नाम भी रखा गया है। बाद में इसे म्यूजियम बना दिया गया। यहां किताबें हैं तो आर्ट पीस भी। यहां सबसे अनोखी चीज है एक सिंहासन है। इस सिंहासन का वजन ही इसकी खासियत है। दरअसल इसका वजन 120 किलो है, जो अक्सर दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है। तवी नदी के बिलकुल बगल में बना ये महल बाहर से भी बहुत सुंदर दृश्य दिखाता है। एंट्री फीस सिर्फ 10 रुपए है। इसको घूमने का समय सुबह 10 से दोपहर 12 तक और दोपहर 3 से रात 7 बजे तक है। समय के हिसाब से ही यहां जाने की प्लानिंग करें।
भीमगढ़ फोर्ट का इतिहास-
ये किला जम्मू की कुछ खास जगहों में से एक है और ऊंचाई पर बने होने की वजह से बहुत रोमांचित भी करता है। ये महल जमीन से 150 मीटर की ऊंचाई पर बना है। इस महल में सिर्फ इतिहास भी नहीं है। यहां आपको और भी बहुत कुछ देखने को मिलेगा। दरअसल यहां मंदिर है तालाब भी और एक बेहद कीमती कमरा भी। शुरुआत में भीमगढ़ किले को मिट्टी से बनाया गया था पर बाद में इसे महाराजा ऋषिपाल राणा ने पत्थरों से फिर से बनवा दिया। रिनोवेशन में भी एक लंबा समय लगा। ये 1817 को शुरू हुआ और 1841 में पूरा हुआ। इसका गेट बालुका स्टोन पर राजस्थानी कारविंग के साथ बना है। यहां आने का समय सुबह 10 से शाम 5 बजे तक है। ये किला जम्मू से उत्तर पश्चिम में 64 किलोमीटर की दूरी पर है। आर्कलॉजी विभाग को इसकी कमान 1989 में दे दी गई थी।
द बहु फोर्ट-
जम्मू में एक ऐतिहासिक किला है, नाम है बहु फोर्ट। तवी नदी के तट पर बना ये किला। माना जाता है कि ये किला 3000 साल पहले राजा बहुलोचन ने बनवाया था। इसका पहली बार रेनोवेशन महाराजा रंजीत सिंह ने 18वीं शताब्दी में बनवाया था। किले के अंदर देवी काली का मंदिर है। इस मंदिर को बावे वाली माता मंदिर कहा जाता है। इसकी ऊंचाई तकरीबन 325 मीटर है। यहां से 5 किलोमीटर की दूरी पर बाग-ए-बहु गार्डेन भी है। यहां की सैर आपको मानो इतिहास की सैर ही करा देगी।
रघुनाथ मंदिर-
इस मंदिर का निर्माण 1857 में महाराजा गुलाब सिंह और उनके बेटे महाराजा रणवीर सिंह ने करवाया था। इसे पिता ने 1835 में बनवाना शुरू किया लेकिन बेटे के कार्यकाल में ये पूरा हो सका। माना जाता है कि राजा गुलाब के राजा बनने की भविष्यवाणी रामदास वैरागी ने की थी। क्योंकि वैरागी राम के भक्त थे इसलिए राजा बनने के बाद गुलाब सिंह ने जम्मू में पहला राम मंदिर बनवाया वो भी जहां रामदास वैरागी रहा करते थे। मंदिर इसलिए भी खास है क्योंकि इसके अंदर कई हिस्सों में सोना लगा हुआ है। मंदिर के अंदर तीन तरफ सोना ही लगा है। यहां 33 करोड़ देवी-देवता के दर्शन किए जा सकते हैं। इस मंदिर पर साल 2002 में आतंकी हमला हुआ था, जिसकी वजह से इसे दोबारा खुलने में 11 साल का समय लग गया। मंदिर के बाहर से ही 5 ककलश आपको नजर आ जाएंगे।
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