जैसा कि हम जानते हैं कि लगभग सभी स्कूल महामारी के चलते बंद है लेकिन पढ़ाई ऑनलाइन क्लास के माध्यम से जारी है। परंतु ऑनलाइन क्लास हर रोज अटेंड करना भी कोई आसान काम नहीं है। इन के कारण बहुत से बच्चों को आखों में व सिर में दर्द की दिक्कत हो रही है। अधिक समय तक स्क्रीन की ओर देखने से बच्चों की आंखों पर भी बहुत प्रभाव पड़ता है। इसलिए एक मां या बाप होने के नाते आप को अपने बच्चों की आंखों की सुरक्षा के लिए कुछ आवश्यक टिप्स अवश्य ट्राई करने चाहिए। 

स्क्रीन से उचित देरी बना कर रखें : सामान्यतः आप को स्क्रीन से लगभग 16 इंच दूर रहना चाहिए ताकि आप की आंखों पर ब्लू लाइट का अधिक प्रभाव न पड़े। परंतु आप 12 इंच की दूरी भी बना सकते हैं। यदि आप के बच्चे बहुत नजदीक से स्क्रीन देखेगा तो उसकी आंखों की मसल थक जाएंगी और आखों पर बूरा प्रभाव पड़ेगा। इससे आप के बच्चों में मोतियाबिंद की समस्या होने की भी बहुत अधिक संभावना हो जाती है और यदि उसे पहले से ही है तो वह स्थिति और गंभीर जनक बन सकती है। इसलिए स्क्रीन से अपने बच्चों को उचित दूरी बनवाएं रखें। 

नियमित रूप से ब्रेक लें : जब आप के बच्चो की ऑनलाइन क्लास चल रही हों तो उन्हे 20-20 का नियम फॉलो करने को बोले। इस का मतलब है कि जब उसे स्क्रीन देखते हुए 20 मिनट हो जाएं तो उसे एक बार बीच में 20 सैकंड का ब्रेक ले लेना चाहिए। यदि वह ऐसे बीच बीच में ब्रेक लेता रहेगा तो उसकी आंखों पर अधिक असर नहीं पड़ेगा। इस प्रकार से ब्रेक लेना बच्चों के लिए ब्लू लाइट से बचने के लिए उन चश्मों से बेहतर होता है। 

कुछ न दिखने के लक्षण जरूर चैक करें : यदि आप का बच्चा पूरा पूरा दिन स्क्रीन की ओर देखता रहता है तो हो सकता है उसे देखने में कुछ दिक्कत आने लगे या उस का सामने का नजारा धुंधला दिखने लगे। अतः आप को इस के लक्षणों के बारे में चैक करना चाहिए। आम तौर पर इस के लक्षणों में सिर दर्द, बहुत ज्यादा बार पलकें झपकना, आखों को मसलना और बहुत ज्यादा बार आखों को मसलते रहना आदि शामिल हैं। यदि ऐसे लक्षण देखने को मिलते हैं तो आप को अवश्य ही अपने बच्चे को डॉक्टर के पास ले कर जाना चाहिए। 

विजन स्क्रीनिंग को न भूलें : बच्चों की आखों को ले कर आप को किसी भी प्रकार की कोई लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए क्योंकि आंख को हम अपने शरीर का सबसे मुख्य हिस्सा मान सकते है।आखों से ही हमारी दुनिया रंगीन है। अतः आप को नियमित रूप से अपने बच्चे की विजन स्क्रीनिंग कराते रहना चाहिए। इससे यदि उन्हें देखने में किसी प्रकार की दिक्कत भी होगी तो वह समय रहते ही पता चल जाएगी और आप को व बच्चे को अधिक परेशानी का सामना भी नहीं करना पड़ेगा। अतः हर साल में एक बार विजन स्क्रीनिंग जरूर कराएं।

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