28th November 2020
बहुत समय पहले की बात है, किसी जंगल में एक शिकारी रहता था। वह अपने परिवार के साथ मज़े से जी रहा था। एक दिन वह हिरण के शिकार के लिए घर से निकला।
जल्द ही उसे एक हिरण दिखा और उसने उसे मार गिराया। उसने हिरण को कंधों पर उठाया और खुशी-खुशी घर की तरफ चल दिया।
वापसी पर उसे एक विशाल जंगली भैंसा दिखा। उसने झट से हिरण को कंधे से उतारा व भैंसे पर तीर चला दिया।
तीर भैंसे की गर्दन से होता हुआ पीठ के पार निकल गया। भैंसा दर्द के मारे बिलबिला उठा। वह शिकारी पर झपटा व उसके प्राण ले लिए। कुछ ही मिनटों में वह खुद भी तड़प-तड़प कर मर गया।
कुछ देर बाद वहाँ से एक गीदड़ गुजरा। उसने देखा कि एक ही जगह पर भैंसा व आदमी मरे पड़े थे। कुछ ही दूरी पर हिरण मरा पड़ा देख कर तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। भूखा गीदड़ पल-भर में इतना सारा भोजन पा कर निहाल हो गया। बिना किसी मेहनत के इतना कुछ पाने के कारण वह बौरा सा गया। उसने कहा- "भगवान कितना दयालु है। आज तो मैं दावत
उड़ाऊँगा।"
वह सारा माँस उसे दो-तीन माह के लिए काफी था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि इंसान, भैंसे या हिरण में से पहले किसे खाये? अचानक उसे तीर के आस-पास थोड़ा खून व माँस दिख गया।
लालची गीदड़ ने सोचा कि पहले तीर के आस-पास लगे खून को चाटना चाहिए व माँस खाना चाहिए। जैसे ही उसने नुकीला तीर मुँह में डाला, वह उसके जबड़े व गले को फाड़ता हुआ निकल गया। उसके गले से खून बहने लगा, जिससे वह दर्द के मारे चिल्लाने लगा। जल्दी ही उसने प्राण त्याग दिए।
शिक्षाः- अधिक लोभ करना भी अच्छा नहीं होता।
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