28th December 2020
एक औरत जब गर्भवती होती है तब से ही वह मातृत्व के एहसास से भर जाती है व ऐसे में किसी भी कारण से अगर उसका गर्भपात हो जाए तो कई बार उसके मन में अनेक नकारात्मक भाव पैदा हो जाते हैं। ऐसे में कैसे करें इस परिस्थिति का सामना जानें इस लेख के माध्यम से।
किसी महिला को कई वजहों से गर्भपात कराना पड़ जाता है। कई बार अनचाहे गर्भधारण के कारण भी ऐसे कदम उठाने पड़ जाते हैं, जबकि कई बार भ्रूण की कुदरती खामियों या गर्भधारण से जुड़ीं घातक स्वास्थ्य स्थितियों के कारण दंपत्ती गर्भ गिराने का फैसला कर लेते हैं। वजह चाहे जो भी हो, गर्भपात कराने से महिला पर मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से असर पड़ता है। स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो पूर्णकालिक गर्भधारण और बच्चे के जन्म (जब गर्भधारण सुरक्षित हो) की तुलना में गर्भपात किसी लिहाज से सुरक्षित नहीं है। कुछ शोध बताते हैं कि कुछ महिलाएं गर्भपात कराने के बाद राहत का एहसास करती हैं, जबकि कुछ महिलाएं अनचाहे गर्भपात या मिसकैरिज के कारण अवसादग्रस्त हो जाती हैं। महिलाओं में राहत और अवसाद की वजह भी अलग-अलग होती है।
गर्भपात कराने के बाद जितने शारीरिक साइड एफेक्ट्स होते हैं, उतने ही मानसिक साइड एफेक्ट्स भी होते हैं। गर्भपात कराने के बाद शारीरिक साइड एफेक्ट्स से कहीं ज्यादा भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक असर देखा गया है और इससे मामूली खेद से लेकर अवसाद तक जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। गर्भपात कराने के बाद किसी ऐसे अनुभवी प्रोफेशनल से सभी खतरों के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा कर लेना बहुत जरूरी है जो आपके सभी सवालों और इनसे जुड़ी आशंकाओं का जवाब दे सके।
नकारात्मक भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक असर से जुड़ा एक सबसे महत्त्वपूर्ण फैक्टर यह है कि आपको यही लगता रहता है कि आपके अंदर अभी भी बच्चा पल रहा है। कुछ महिलाओं में नकारात्मक भावनात्मक परिणाम विकसित होने की संभावना कम रहती है, क्योंकि गर्भधारण को लेकर उनका नजरिया बिल्कुल अलग रहता है और वे समझती हैं कि भ्रूण एक अविकसित जीव है। हालांकि कुछ अन्य महिलाएं गर्भधारण के प्रति कुछ ज्यादा ही भावनात्मक लगाव पाल लेती हैं और अपने अंदर पल रहे बच्चे को जीव मान लेती हैं। ऐसी महिलाओं पर गर्भपात या मिसकैरिज के बाद कुछ ज्यादा ही नकारात्मक असर पड़ता है। गर्भपात कराने के बाद निम्नलिखित संभावित भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक खतरे हो सकते हैं। अलग-अलग व्यक्तियों पर इन नकारात्मक प्रभावों की अवधि और तीव्रता अलग-अलग होती है। संभावित साइड एफेक्ट्स में शामिल हैं:
गर्भपात कराने के बाद संभव है कि किसी को भी अनपेक्षित भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक साइड एफेक्ट्स का अनुभव हो। आम तौर पर महिलाओं का अनुभव बताता है कि गर्भपात कराने को लेकर जितना वे उम्मीद कर रही थीं, उससे कहीं ज्यादा उन्हें इस प्रक्रिया से झेलना पड़ा। हालांकि अक्सर देखा गया है कि कुछ महिलाएं कुछ खास प्रकार के भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक जद्दोजहद की चपेट में जल्दी आ जाती हैं। जिन महिलाओं पर नकारात्मक भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक साइड एफेक्ट पड़ने की संभावना अधिक रहती है, उनमें शामिल हैं:
उपयोगी सुझाव
एकांत में रहने से बचें- यदि आप अनियोजित गर्भधारण की समस्या से जूझ रही हैं तो हो सकता है कि आप इस समस्या को गोपनीय रखने के लिए दूसरों से कटने लगेंगी या अकेले ही इस समस्या का सामना करने की सोचेंगी। हालांकि यह मुश्किल हो सकता है लेकिन इस बारे में अपने परिजनों और मित्रों को बताने की कोशिश करें जो आपको सहयोग कर सकें। ऐसी परिस्थितियों में खुद को अलग-थलग रखने से आप अवसाद की शिकार हो सकती हैं। अपनी समस्या पर अपने प्रियजन से बेझिझक चर्चा करें और किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले उन्हें विश्वास में लें। इससे आपका अपराध बोध या बेचैनी कम होगी।
अपनी परिस्थितियों का आकलन करें- उन महिलाओं की उपरोक्त व्यक्तिगत समस्याओं पर गौर करें जिन्हें एक या अधिक साइड एफेक्ट्स का अनुभव हुआ हो। अपनी समस्या के बारे में किसी ऐसे करीबी को बताएं जो आपके नजरिये में आपका सहयोग कर सके और आपको समझ सके।
गर्भपात के बाद महिलाओं में अलग-अलग शारीरिक साइड एफेक्ट्स हो सकते हैं। गर्भपात के बाद संभावित विस्तृत साइड एफेक्ट्स के बारे में किसी अनुभवी हेल्थ प्रोफेशनल और डॉक्टर से जानकारी पाना जरूरी है। यह भी जरूरी है कि गर्भपात के 4-6 हफ्ते बाद आपकी मासिक क्रिया सुचारू हो जाए और गर्भपात कराने के बाद आप दोबारा मां बनने लायक हो जाएं। संक्रमण से बचने के लिए अपने डॉक्टर के परामर्श के मुताबिक ही दवाइयों का सेवन करना जरूरी है।
गर्भपात कराने के बाद निम्नलिखित शारीरिक साइड एफेक्ट्स उभर सकते हैं। इन साइड इफेक्ट्स का अनुभव दो से चार हफ्तों तक बना रह सकता है।
किसी योग्य और प्रशिक्षित प्रोफेशनल से गर्भपात कराना जरूरी है। यह भी सुझाव है कि यदि आपने गर्भपात कराया है तो स्वस्थ रहने तथा यथाशीघ्र फिट रहने के लिए अपने डॉक्टर से मिलते रहें और चिकित्सा सलाह लेते रहें।
पारस ब्लिस हॉस्पिटल में कंसल्टेंट ऑब्स एंड गायनी डॉ. शिल्वा
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