31st December 2020
कर्नाटक जाने की योजना बनाएं तो इसमें मैसूर को जरूर शामिल करें। ये शहर बहुत सुंदर होने के साथ ऐतिहासिक और पौराणिक अहमियत भी खुद में छिपाए है।
मैसूर...कर्नाटक राज्य का सुंदर और ऐतिहासिक शहर। ये शहर अपनी इमारतों के साथ दशहरा के भव्य आयोजन के लिए भी जाना जाता है। यहां का दशहरा देखने के लिए पूरी दुनिया से लोग आते हैं। इस त्योहार में ये पूरा शहर सज जाता है और मानो नाच रहा होता है। लेकिन दशहरा के साथ यहां की एक मिठाई भी अपने स्वाद के लिए जानी जाती है, नाम है मैसूर पाक। शहर की ख़ासियतें सिर्फ यहां भी खत्म नहीं होती हैं बल्कि इसकी पेंटिंग से लेकर मैसूर मसाला डोसा भी इस शहर की पहचान हैं। लेकिन ये सारी चीजें आप शहर से दूर बैठ कर सोचते हैं, जब इस शहर के अंदर आएंगे तो आपको यहां की सुंदर इमारतें ही नजर आएंगी। मैसूर ऐसी ही खासियतों पहचान लीजिए-
चामुंडेश्वरी मंदिर -
द्रविण स्टाइल पैटर्न पर बना ये मंदिर इस शहर की खास इमारतों में से एक है। मैसूर का ये एक ऐसा तीर्थ है, जहां सबसे ज्यादा भक्त आते हैं। चामुंडेश्वरी मंदिर देवी दुर्गा का ही रूप है। ये मंदिर चामुंडी पहाड़ियों पर 3489 फीट की ऊंचाई पर बना है। यहां पर ऐसा आर्किटेक्चर हुआ है कि कई सारे लोग तो भक्ति से इतर सिर्फ मंदिर की सुंदरता ही देखने आ जाते हैं। यहां आने पर इंट्री फ्री है।
मैसूर महाराजा पैलेस-
मैसूर महाराजा पैलेस बिलकुल शहर के बीच में बना है। ये पैलेस आधिकारिक तौर पर वाडियार परिवार का घर है। वाडियार परिवार मैसूर का रॉयल फैमिली है। इस पैलेस की खासियत है कि इसमें हिन्दू, मुस्लिम, राजपूत और गोथिक आर्किटेक इस्तेमाल हुआ है। इस पैलेस का बगीचा भी देखने वाला है। यहां आने के लिए बच्चों की इंट्री फीस 20 रुपए और बड़ों के लिए 40 रुपए है। सुबह 10 से 5 बजे तक यहां आया जा सकता है।
चामुंडी हिल्स का दशहरा-
चामुंडी हिल्स पर चामुंडेश्वरी काफी ध्यान आकर्षित करता है लेकिन इस पहाड़ी पर दो और मंदिर हैं लक्ष्मी नारायण स्वामी और म्हाबालेश्वरा। इन दोनों ही मंदिरों की अपनी पौराणिक विशेषता है। यहां से आपको शहर का ललिथा महल पैले, मैसूर पैलेस और करणजी लेक आसानी से दिखती है। यहां पर खास तौर पर दशहरे के समय सबसे ज्यादा भीड़ जुटती है। ये मैसूर से 13 किलोमीटर पूर्व में बना है।
सेंट फिलोमेनास केथेड्रेल चर्च-
सेंट फिलोमेनास केथेड्रेल चर्च 1840 में बना था और पहले सेंट जोजेफ शावेज कहलाता था। ये एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च है। लश्कर मोहल्ला, अशोक रोड पर बना ये चर्च सुबह 5 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है। विजिटर्स को यहां आने के लिए किसी तरह की फीस नहीं देनी होती है।
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