जब मैं सात-आठ साल की थी तो मैं अपनी नानी जी के घर रहने के लिए गई थी। वहां पर हम सभी बैठे बातें कर रहे थे तो वैष्णों देवी की बातें होने लगीं और मेरे मामा-मामी जी ने बताया कि जब वे लोग वैष्णों देवी की यात्रा पर गए थे तो उन्होंने लगभग रात को दो बजे शेरांवाली मां के दर्शन किए थे। इतने में मेरी मौसी जी ने कहा कि जब हम वैष्णो देवी गए थे तो हमने सुबह चार बजे के करीब दर्शन किए थे। मैं उन सब की बातें बहुत ध्यान से सुन रही थी। मैंने अपनी मम्मी से पूछा कि मम्मी क्या शेरांवाली मां रात को सोती नहीं है, जो लोग सारा दिन और रात उनके दर्शन करते हैं। इतना सुनते ही सब जोर से हंसने लगे (क्योंकि उस समय मैं ये सोचती थी कि शेरांवाली माता शेर पर बैठी रहती हैं और क्या वे शेर पर बैठे-बैठे थकती नहीं हैं।)
आज भी जब कभी वैष्णो देवी की बात निकलती है तो बचपन की वह बात सोच कर अनायास ही हंसी आ जाती है।
कमेंट करें