24th February 2021
सर्दियों की सूखी हवा, अनियमित खानपान, विटामिन, कैल्सियम और आयरन की कमी से अकसर पैरों की एड़ियां फट जाती हैं। ऐसे में अगर सही से देखभाल नहीं की जाए तो, धीरे-धीरे एड़ियों में दरारें आने लगती हैं। यदि आप भी इस समस्या से ग्रस्त हैं तो जानें इस लेख से इनकी देख-भाल के उपाय।
ठण्ड के मौसम में अकसर एड़ियां फट जाती हैं जिससे चलने में भी पैरों में दर्द होने लगता है। जब आपके पैरों के तलवों और एड़ियों की संवेदनशील त्वचा रूखी हो जाती है, तो यह फट जाती है। पैरों में रूखापन होने के कारण एड़ियों में दरारे पड़ जाती हैं। इसे ही एड़ियों का फटना कहते हैं।
एड़ियों के फटने को बिवाई भी कहा जाता है। डायबिटीज वाले रोगी का ब्लड शुगर नियंत्रित नहीं रहने के कारण एड़ियां फटने की संभावना बढ़ जाती है। डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति को अपने पैरों का अधिक ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि एड़ियों में दरार होने से संक्रमण हो सकता है।
आम तौर पर एड़ियां फटने के निम्न कारण होते हैं
वैसे तो बाजार में कई ऐसी क्रीम मौजूद हैं जो फटी एड़ियों को ठीक करने का दावा करती हैं लेकिन इसका घरेलू उपचार करना ही एक बेहतर विकल्प है, इसलिए आज हम आपको फटी एड़ियों को ठीक करने के लिए कुछ घरेलू उपाय बता रहे हैं।
ऑलिव ऑयल के इस्तेमाल से भी एड़ियां मुलायम बनती हैं। इसके लिए बस हथेली पर ऑलिव ऑयल की कुछ मात्रा लें और हल्के हाथों से मसाज करें। इसके बाद पैरों को आधे घंटे के लिए वैसे ही छोड़ दें। ऐसा हफ्ते में एक बार जरूर करें।
आपने आज तक चेहरे के रंग को निखारने के लिए शहद का इस्तेमाल किया होगा, लेकिन शहद एक बहुत अच्छा मॉइश्चराइजर है, जो पैरों को हाइड्रेट रखने के साथ ही उनकों रंग भी निखारता है। इसके लिए आपको बस एक बाल्टी में थोड़ा से पानी में शहद मिलाएं और उसमें कुछ देर के लिए पैरों को भिगोकर बैठें। इसके बाद पैरों को पोंछ लें, फिर कोई भी ऑयल बेस्ड फुट क्रीम लगा लें। आपके पैर मुलायम हो जाएंगे।
आप अपने पैरों की फटी एड़ियों को ठीक करने के लिए ओटमील के पाउडर को थोड़े से जोजोबा ऑयल में मिलाते हुए एक गाढ़ा पेस्ट बना लें और एड़ियों की दरारों पर लगाएं। कुछ देर बाद या उसके सूखने पर गुनगुने पानी से धो लें।
अगर आप अपनी फटी एड़ियों को ठीक करना चाहते हैं, तो रात को सोने से पहले नारियल तेल को हल्का सा गर्म करें, उसे फटी एड़ियों पर लगाएं और हल्के हाथों से मालिश करें। इस उपाय को लगातार 10 दिनों तक करने पर आपकी एड़ियां मुलायम और खूबसूरत हो जाएगीं।
बच्चे और बड़े-बुजुर्ग कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के शिकार होते हैं और इस वजह से उन्हें सर्दियों में बीमारियों का सामना ज्यादा करना पड़ता है जैसे- नाक बहना, खांसी होना या फिर बुखार। इसलिए हमें कुछ छोटी बातों पर ध्यान देना चाहिए जैसे सर्दी-जुकाम होने पर पानी को हल्का गुनगुना कर लें और थोड़ा नमक मिलाकर के पानी से गरारे करें या इसका भाप लें।
इस समय गर्म तरल पदार्थ का ज्यादा प्रयोग करे। बदलते मौसम का ख्याल रखे जैसे तुरंत गर्म से ठंडे में या ठंडे से गर्म में न जाएं, अन्यथा इस संक्रमण का शिकार हो सकते हैं। केसर को हल्के गुनगुने पानी में मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को नाक पर, माथे, सीने पर और हाथों की हथेलियों पर लगाने से सर्दी-जुकाम में तुरंत राहत मिलती है। सौंठ, पीपली, काली मिर्च और मुलहठी को एक साथ पीस ले और इसको शहद के साथ लेने से जल्द होता है।
मुलहठी के पावडर को पान के पत्ते पर रखकर दांतों से चबाकर चूसते रहें।
सर्दियों के मौसम में कुछ लोगो को हाथ पैर की अंगुलियां लाल हो जाती हैं, ऐसे में उन्हें अंगुलियों में सूजन और खुजली होने लगती है। ये एक तरह की एग्जिमा की बीमारी हो सकती है। इसके होने का मुख्य कारण अंगुलियां को पानी में बार बार डालने से होती है, इसमें कभी कभी मवाद आने लगती है, जिसको ठीक होने में कुछ समय लग जाता है और इसका उचित उपचार जरुरी होता है। इसके लिए ठंड में बचकर रहना चाहिए और अपने शरीर की गर्म पानी से दूरी बनाए रखनी चाहिए।
सर्दियों के मौसम में हमारी त्वचा को कई प्रकार की एलर्जी का सामान करना पड़ता है क्योंकि हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है जिससे डर्मेटाइटिस, त्वचा में दरारें, त्वचा में खुजली होना या कोई दूसरे तरह के चर्म रोग होने की संभावना होती है। जब हमारी त्वचा की पानी की मात्रा कम होने लगती है, तब हमें ऐसी बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
यदि बात बच्चों की करें तो सर्दियों के मौसम में बच्चों को फल और सब्जियां पर्याप्त मात्रा में खिलाएं। बच्चों को बादाम, अखरोट, काजू, पिस्ता भी खिलाएं क्योंकि ये शरीर को देर तक गर्म रखते हैं। इसके अतिरिक्त मां का दूध बच्चे के लिए अति महत्त्वपूर्ण है, खासकर जब वे बीमार हों यह उन्हें अदभुत संतुलित पोषक-तत्त्वों की शृंखला प्रदान करता है जोकि उन्हें संक्रमण से लड़ने और शीघ्र स्वस्थ होने में सहायता करते हैं। 6 माह से कम आयु के शिशुओं को, सर्दी-खांसी से निजात दिलवाने के लिए स्तनपान कराना चाहिए।
सर्दियों में बच्चों को भरपूर तरल-पदार्थ दें नहीं तो वह निर्जलीकरण का शिकार हो सकते हैं, जिससे समस्या अधिक गंभीर हो सकती है। शरीर में पानी का उचित स्तर, मल-निकास को पतला करके आपके बच्चे के शरीर से कीटाणुओं का निकास करने में और बंद-नाक, छाती जमने आदि की समस्या से बचाता है।
ठण्ड के समय शिशु के सर व पैर हमेशा ढक कर रखें जिससे उन्हें ठण्ड आसानी से न पकड़ सके। अपने शिशु का टीकाकरण समय पर करायें, जिससे वो कई संक्रामक बीमारियों (जो बीमारियां बहुत जल्दी पकड़ में आती हैं, जैसे जुकाम आदि) के खतरे से दूर रहें।
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