24th February 2021
प्रकृति की सर्वाधिक सुंदर रचनाओं में एक है फूल। इनके विभिन्न रंग और खूशबू हमारा मन मोहने के लिए काफी हैं। लेकिन इन खूबसूरत फूलों के कई लाभ भी हैं।
देवी-देवताओं से लेकर इंसान तक और इंसान से लेकर भंवरों तक सभी को अपनी मोहक सुगंध और सौंदर्य से भरने वाले फूल कई छोटे-बड़े उपचारों में भी कारगर हैं। प्रकृति ने इन्हें कई औषधीय गुणों से भी नवाजा है-
गुलाब कई प्रकार के होते हैं, परन्तु औषधि के रूप में केवल उन्हीं गुलाबों का प्रयोग किया जाता है, जिसका रंग गुलाबी होता है। गुलाब दिल तथा दिमाग की शक्ति को बढ़ाने वाला होता है। इसका अर्क निकाला जाता है, इत्र तथा तेल बनाया जाता है एवं खाने के लिए गुलकन्द तैयार किया जाता है। गुलाब में अनेक औषधीय गुण पाए जाते हैं।
गेंदा के फूलों तथा पत्तों में औषधीय गुण विद्यमान हैं।
कनेर के पत्ते लंबे-लंबे होते हैं। इसके फूल लाल, पीले तथा सफेद-तीन प्रकार के होते हैं। कनेर एक प्रकार का विष है, परन्तु चर्म रोगों को दूर करने में वह विशेष गुणकारी है।
मेहंदी की भीनी-भीनी खूशबू भी किसी फूल से कम नहीं लगती। महिलाओं की साज-सज्जा एवं शृंगार का एक अहम हिस्सा है मेहंदी लेकिन इसके पत्ते कई औषधीय गुणों से भी भरे हैं।
अकसर हम लोग दैनिक जीवन में आने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को ज्यादा ही गम्भीरता से ले लेते हैं। इसका कारण है पारंपरिक खान-पान व घरेलू नुस्खों से दूरी। जानें कि किस प्रकार बड़ी समस्याएं मामूली तरीकों से दूर की जा सकती है।
भोजन के इस अतिरिक्त स्वाद के लिए सिरका भी एक अहम भूमिका अदा करता है। एक बोतल सिरका लाइए और उसमेें मूली, गाजर, शलगम, मिर्च, करोंदा, अदरक, तथा प्याज आदि के छोटे-छोटे टुकड़े करके डाल दें। चाहें तो अपने स्वाद के अनुसार नमक तथा मिर्च डाल दें।
इसे लगभग एक सप्ताह तक बन्द करके रखें और फिर इसका उपयोग करें। इसके सेवन से जहां खाना सुस्वादु बनेगा, वहीं पाचन-शक्ति भी ठीक रहेगी।
यदि किसी कारण बाल झड़ते हों तो पानी में थोड़ा सिरका मिलाकर सिर धोएं और जब बाल सूख जाएं तो उंगलियों को सिरके में भिगोकर बालों की जड़ों में लगायें। इससे बालों की जड़ें मजबूत होंगी और बाल झड़ने समाप्त हो जाएंगे।
थकान अनुभव हो तो शहद में सिरका मिलाकर उसका प्रयोग करें। इसके लिए एक प्याला शहद में दो बड़े चम्मच सिरका मिला लें। रोज प्रात:काल एक चम्मच इसका सेवन करें। इसके नियमित प्रयोग से शरीर में स्फूर्ति आएगी तथा थकान मिट जाएगी। सिर दर्द दूर करने के लिए समान मात्रा में पानी और सिरका खुले बर्तन में डालकर आग पर उबाल लें। तत्पश्चात लगभग 10 मिनट तक इसकी भाप लें। भाप लेते समय मुंह और आंखें बन्द रखें। ऐसा करने से सिर का दर्द मिट जाएगा।
यदि गले में खराश या दर्द हो तो गुनगुने पानी में सिरका मिलाकर गरारे करें। इससे गले की पीड़ा समाप्त हो जाएगी। यदि लिखने-पढ़ने का काम करते-करते पलकें झपकने लगे तो तीसरे पहर की चाय में सिरके की चार-पांच बूंद मिला लें। इसका सेवन करते ही चुस्ती आ जाएगी और काम तेजी से होता चला जाएगा।
इसबगोल में अधिकांश रोगों को दूर करने की शक्ति होती है। कब्जीयत की समस्या हो तो इसबगोल खाएं। इसबगोल आंतों के मार्ग को चिकना बनाता है तथा आंतों में घुलकर मल को बाहर निकालने में सहायता देता है। मलावरोध की स्थिति में इसबगोल को रात में दूध के साथ सेवन करें तो सुबह मल खुलकर आएगा।
बवासीर रोग कोष्टबद्धता के कारण होता है। अधिक जोर लगाकर मल विर्सजन करने से यह रोग बढ़ जाता है। इसबगोल के चूर्ण को दूध के साथ लेने से कोष्ठ साफ हो जाते हैं और धीरे-धीरे बवासीर नष्ट हो जाती है। आंतों के जख्मों में भी इसबगोल बहुत लाभदायक है।
ज्यादा मात्रा में देने से यह रेचक का कार्य करता है और कम मात्रा में देने से मलावरोध का कार्य करता है। दस्त की हालत में इसबगोल की भूसी दही के साथ सेवन रामबाण औषधि का कार्य करता है।
पेट की वायु को भी इसबगोल नष्ट करता है। इसमें इसबगोल की मात्रा ज्यादा नहीं लेनी चाहिए। पेशाब करते समय यदि जलन होती है तो इसबगोल की भूसी का प्रयोग करने से जलन दूर हो जाती है।
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