24th February 2021
सवाल यह है कि यह ऑनलाइन शॉपिंग ट्रेन्ड, क्या वास्तव में लाभकारी है या यहां भी ठगे जाने, धोखाधड़ी और बेवकूफ बनने के उतने ही चांसेस हैं, जितने आम मार्केट में हैं।
कल इत्तेफाक से एक पुराने मित्र की दुकान पर गया, वैसे तो कोरोना नाम के इस हऊए के डर से पिछले सात-आठ महीनों से मिलना-मिलाना और आना-जाना बंद सा ही है, लेकिन कल सुबह अखबार में उसके पूरे एक पन्ने के विज्ञापन को देखकर रहा नहीं गया। पचासी परसेंट डिस्काउंट, फिर दुकान पर अपना पुराना मित्र और कुछ ना करेगा, तो ठीक-ठाक माल तो दे ही देगा, लेकिन दुकान पर जाकर ताज्जुब हुआ कि दिन के दो बज रहे थे, मौसम भी ठीक था, लेकिन पूरी दुकान में मुश्किल से 10 ग्राहक, जबकि पिछले साल की मुझे याद है और पिछले क्या पिछले और उसके पिछले साल भी, इस दुकान पर सुबह 10:00 बजे से रात 9:00 बजे तक तिल रखने की जगह नहीं रहती थी।
मैंने जान-बूझकर अपना सवाल अधूरा छोड़ दिया। 'अरे भाई साहब, एक तो कोरोना ने वैसे ही कमर तोड़ रखी थी, सोचा था कि फेस्टिव सीजन में कुछ दाल-दलिया हो जाएगा, लेकिन देख रहे हैं कि क्या हाल है। पूरे एक लाख का विज्ञापन दिया था और आए हैं सुबह से मुश्किल से 50 ग्राहक, उसमें भी 50 परसेंट फोकटिये।'
मैं करता भी तो क्या कहता, वैसे ही कुछ फॉर्मल बोल-बाल कर चला आया। घर आकर देखा, तो बाहर अमेजॉन का कोरियर बॉय खड़ा है। मैं चौंका मैंने तो कोई आर्डर दिया ही नहीं था, फिर... तभी अंदर से श्रीमती जी निकलीं। मैंने सवालिया निगाहें उनकी तरफ उठाई तो बोलीं, 'अरे चार सूट मंगवाए हैं। बहुत ही चीप रेट में हैं...' कहकर वह पैकेट लेकर अंदर चली गईं।
अब मुझे मधुकर भाई की दुकान की पिक्चर फेल होने का कारण कुछ-कुछ समझ में आ रहा था। समझ में आ रहा था, कि लाकडाउन से पहले धीरे-धीरे एक-एक कदम रखती कंपनियों की चाल अब बदल चुकी है। लॉकडाउन के पीरियड में जिन एकाध सेक्टर में उछाल आया है, उनमें ई-कॉमर्स भी शामिल है। ऑनलाइन खरीदारी अब आदत में आती जा रही है। अब तो अखबारों में भी यह कंपनियां बड़े-बड़े विज्ञापन दे रही हैं और नेट पर तो इनके विज्ञापनों की पकड़ बेहद मजबूत है ही। कोरोना ने आम आदमियों की बाजार जाकर शॉपिंग करने की आदत पर जो रोक लगाई, उसका पूरा-पूरा फायदा इन ई-कॉमर्स कंपनियों को मिला है। सुरक्षा की चिंता, बाहर जाने का डर, इंफेक्शन की चिंता आदि ने ऑनलाइन शॉपिंग को आज जरूरत बना दिया है। कमाल की बात यह है कि यह ट्रेंड अब उच्च वर्ग के अलावा मध्यम वर्ग से होता हुआ निम्न मध्यम वर्ग तक फैलता जा रहा है।
सवाल यह है कि यह ऑनलाइन शॉपिंग ट्रेन्ड, क्या वास्तव में लाभकारी है या यहां भी ठगे जाने, धोखाधड़ी और बेवकूफ बनने के उतने ही चांसेस हैं, जितने आम मार्केट में हैं। इधर अक्सर अखबारों में यह खबरें भी आ रही हैं कि ऑनलाइन सामान कुछ ऑर्डर किया और आया कुछ या मोबाइल के डिब्बे में खाली कागज ही निकले।
कोई भी नया ट्रेंड जब आता है तो उसमें कुछ सहूलियतें और कुछ जोखिम भी शामिल होते हैं। आइए देखते हैं कि ऑनलाइन शॉपिंग में क्या सावधानियां बरतें, कि ये हमारे लिए लाभदायक सिद्ध हो।
कुछ बातें ऐसी हैं जिन्हें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही में ध्यान रखना पड़ता है, तो दोनों ही पोजीशन में क्या सावधानियां रखनी है, इसकी बात कर लेते हैं-
यह भी पढ़ें -ट्यूशन के दौरान बच्चों पर रखें नज़र
वाइट हैड्स से छुटकारा पाने के लिए 7 टिप्स
आपकी यह कुछ आदतें बच्चों में भी आ सकती हैं
'डार्लिंग, शुरुआत तुम करो, पता तो चले कि तुमने मुझसे...
लेकिन मौत के सिकंजे में उसका एकलौता बेटा आ गया था और...
कमेंट करें