27th February 2021
शक्ति का नाम नारी, धैर्य, ममता की पूरक एवम् समस्त मानव जाति को ईश्वर प्रदत उपहार जिसे परिभाषित करना सम्भव नहीं है।
शक्ति का नाम नारी, धैर्य, ममता की पूरक एवम् समस्त मानव जाति को ईश्वर प्रदत उपहार जिसे परिभाषित करना सम्भव नहीं है। हर उस सृजन के पीछे एक नारी ही है चाहे वो घर हो, ऑफिस हो या फिर कोई भी कार्यक्षेत्र हो। पवित्रता, विचार और कर्म के हर क्षेत्र में वो सर्वोत्तम मानी जाती है। वो जननी है, पालक है ममतामयी है। गत वर्ष हमनें जो त्रासदि झेली, उस संकट काल में नारी अपने परिवार, समाज और अपने कर्तव्य के साथ दृढ़ता से खड़ी रही और उस संकट से उबरने में अकल्पनिय सहयोग किया।
अब भी, जब कॉविड-19 संकट कई देशों में थमा नही है, नारी अपने कई रूप में, अर्थात माँ, पत्नी, समाज सेविका आदि के रुप में, हर दिन नई कठिनाइयों का सामना कर रही है. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप में कोरोना युद्ध क्षेत्र में आगे बढ़ कर लड़ने, लोगों की सेवा करने के अलावा वो हमेशा की तरह घर सम्भालने के साथ साथ उस पारिवारिक सदस्य की सेवा में भी लगी है जो घर से ही ऑफिस का काम कर रहे हैं या घर से ही स्कूल की पढ़ाई कर रहे हैं जो अपने आप में ही चुनौती पूर्ण है।
विश्व स्तर पर स्वास्थ्य सेवा एवम् सामाजिक सेवा के क्षेत्र में महिलाओं का योगदान सबसे अधिक है। साथ ही घर पर काम करने के ऐवज में कोई आर्थिक लाभ भी नही है। यह सर्वविदित है कि घर का काम करने की सारी ज़िम्मेदारी उस घर की महिला पर ही होती है, जिसमें बच्चों का पालन पोषण तो बस उनके सिर ही छोड़ा जाता है और अब इस आपदा की घड़ी में बच्चों की ऑनलाइन स्कूल की पूरी पढ़ाई का जिम्मा भी जोड़ लें। बस एक आपदा कम थी कि एक घरेलू शिक्षक की तरह सारा समय बच्चे की ऑनलाइन कक्षा पर नज़र रखो फिर उसके होम वर्क पर भी समय दो जैसी दूसरी ज़िम्मेदारी सर पर आ मढ़ी।
घर की महिलाओं और पुरुषों दोनो को एक नई दिनचर्या में ढलना पड़ा है जिसमे उस महिला को ही सबसे अधिक सामंजस्य बनाना पड़ा है। अब जब सारे लोग दिन-रात घर पर ही हैं तो इस बढ़े हुए काम-काज का बोझ भी महिला को ही उठाना पड़ा है। पति और बच्चे दोनो घर पर हैं और अपने काम पर लगे हैं तो घर की महिला निस्चिंत होकर तो नही बैठ सकती. उस नारी ने इन दोनो की प्रत्यक्ष एवम् अप्रत्यक्ष रुप से सेवा की ताकि वो अपने ऑफिस और स्कूल का काम पूरा कर सकें।
सिर्फ यही नहीं, घर की औरतों ने ना सिर्फ अपने घर की ज़िम्मेदारी ली बल्कि घर के व्रद्ध, बच्चों एवम् अन्य सदस्यों के रहन सहन, खान पान और उनके स्वास्थ्य की भी पूरी ज़िम्मेदारी ली। सब लोगों को सही समय पर भोजन उपलब्ध कराना, घर की साफ सफाई, बर्तन एवम् कपड़ों की धुलाई, फ़ूल पौधों की देखभाल, बच्चों की पढ़ाई और इन सबके साथ अगर वो स्वयं एक कामकाज़ी महिला है तो फिर अपने काम पर भी ध्यान रखना और उसे पूरा करना, ये सारे काम उस महिला ने जी जान लगा कर पूरा किये। ऐसे में कभी परिवार का सहयोग मिला तो कभी नही मिला। इन सबका शारीरिक एवम् मानसिक बोझ उस नारी ने झेला है, इन सबके बावजूद भी उस महिला ने अपने कर्तव्यपालन में कोई कसर नही छोड़ी।
ऐसा देखा गया है कि कई देशों में घरेलू हिंसा की घटनाएँ चिंताजनक स्तर तक बढ़ी है। मानसिक त्रास से मुक्ति पाना कठिन होता चला गया। सामाजिक गतिविधियाँ पूरी तरह से बंद थीं जैसे पार्क में घुमना, दोस्तों के साथ गप्पे लड़ाना, सिनेमा देखने जाना या फिर सिर्फ अपने काम के लिए ऑफिस जाना। इन चीज़ों का ना होना कहीं न कहीं घरेलू हिंसा को बढ़ावा देता है।
एक कामकाज़ी माहौल में जहाँ स्त्री पुरुष दोनो ऑफिस जाते हैं और दोनों की नौकरी चली जाए ऐसे लोगों की संख्या बढ़ी है। जब ऐसा एक पति पत्नी के बीच होता है तो ये मानी हुई बात है कि पत्नी अर्थात औरत घर और बच्चों को सम्भालने की पूर्णकालीन काम में लग जाती है। जबकि पुरुष एक नई नौकरी की तलाश में लग जाता है। लाखों महिलाओं का नौकरी छोड़ कर घरेलू कामकाज़ में वापस जाना ऑफिस अथवा घर में उनकी अनिवार्य प्राथमिकता को दर्शाता है। ऐसे में यह अनिवार्य हो जाता कि हम आने वाली पीढ़ी के बेटो को घरेलू काम काज में आत्मनिर्भर बनाए, ताकि एक महिला अपने मन मुताबिक उड़ान भर सके।
‘घर से काम' इस नई प्रणाली को आधुनिक तकनीक ने सरल बनाया है लेकिन इनके भी अपने अलग-अलग गुण- दोष हैं। एक तरफ इसने समय की बचत को सरल बनाया जिससे ऑफिस के साथ परिवार को भी मनचाहा समय दिया जा सकता है और काम की गुणवत्ता भी अच्छी हो जाती है, जो पहले ऑफिस के लिए ट्रैफिक, ट्रेन और बस के धक्के में बीतते थे।
हालात सुधरें, इन सारी कठिनाइयों से मुक्ति मिले और जब हमारा जीवन फिर से पहले सा हो जाएगा, तब भी हमारी महिलाओं का योगदान अति प्रशंसनीय ही कहलाएगा।सलाम है सभी महिला डाक्टर, नर्स, पुलिस कर्मी और सभी महिला फ्रनटलाइन कर्मचारीगण को, आपका योगदान सराहनीय है। सलाम है उस औरत को जो हर कठिन परिस्थिति में अपनी राह बना लेती है और अपने परिवार, अपने समाज को नई राह दिखाती है।
।। महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर
यह भी पढ़ें-
क्या आपको भी संयुक्त परिवार में रोमांस कठिन लगता है तो अपनाएं 10 तरीके
वाइट हैड्स से छुटकारा पाने के लिए 7 टिप्स
आपकी यह कुछ आदतें बच्चों में भी आ सकती हैं
'डार्लिंग, शुरुआत तुम करो, पता तो चले कि तुमने मुझसे...
लेकिन मौत के सिकंजे में उसका एकलौता बेटा आ गया था और...
कमेंट करें