बच्चों को सेक्स से संबंधित सवालों का सही जवाब नहीं मिलेगा तो वे कहीं और भागेंगे। ऐसे में उनकी समझ सही तरह से विकसित नहीं होगी, जो ठीक नहीं है। 

सुकृति के 8 साल के बेटे साहिल ने एक दिन अपनी मम्मी से कहा कि मम्मा मुझे समझ में आ गया है कि भगवान जी से प्रार्थना करने से बेबी नहीं आते। लेकिन मुझे यह भी नहीं पता कि बेबी कैसे आते हैं। तुम बताओ ना कि बेबी कैसे आते हैं। साहिल आए दिन अपनी मम्मी के ब्रेस्ट को टच करते हेकहता है कि यह तुम्हें ही क्यों है मम्मा, पापा को क्यों नहीं है। बेबी के जन्म को लेकर आरव ने भी अपनी मम्मी से पूछा था कि जादू से बेबी कैसे आता है मम्मी, बताओ ना!

साहिल और आरव जैसे कई बच्चे हैं, जो बड़े होते हुए सेक्स को अलग- अलग तरीके से समझने की कोशिश करते हैं। आपने भले ही अपने बेटे या बेटी को निप्पल्स या पेनिस के लिए अलग- अलग मनगढंत नाम दिए होंगे और सोचा होगा कि काम हो गया! लेकिन बढ़ते हुए बच्चे धीरे- धीरे चीजों को समझने लगते हैं। आप ये सोच कर देखें कि किसी दिन आपका 8 साल का बच्चा आपके पास आए और आपसे क्रश का मतलब पूछने लगे तो आप क्या कहेंगी? बॉडी पार्ट्स, बेबी के जन्म और सेक्स से संबंधित कई सवाल बढ़ते बच्चों के दिमाग को परेशान करते हैं। और जब वे आपसे सवाल करते हैं तो आपको समझ नहीं आता कि आप क्या जवाब दें। ऐसा इसलिए क्योंकि असल सवालों को दूर भगा कर  कहानी बुनते हुए हम कुछ विषयों पर अनकम्फर्टेबल रहते हैं। जबकि सच तो यह है कि इन सवालों का जवाब देना बहुत जरूरी है।

इस बारे में बच्चों की मम्मियों को सही तरीके से जवाब देना बहुत जरूरी है क्योंकि छोटे बच्चों का मस्तिष्क रोजाना विकसित होता रहता है और अगर आप उन्हें जवाब नहीं देंगी तो वे कहीं और से अपने सवालों का जवाब पाने की कोशिश करेंगे। उनकी इस कोशिश में उनके पास गलत जवाब हो सकते हैं, जो किसी भी तरह से सही नहीं हैं।

कैसे जवाब दें बच्चों के सेक्स संबंधित सवालों का

 

 

 

पेरेंट्स कभी भी खुद को सेक्स संबंधित सवालों के लिए तैयार नहीं करते हैं। आप सोच सकते हैं कि कोई 12- 13 साल का बच्चा आपसे क्रश एक बारे में पूछे लेकिन जब यही सवाल 8- 9 साल का बच्चा करता है तो आप क्या करेंगी? सबसे जरूरी बात यह है कि आपको कभी भी अपने बच्चे को डांटना नहीं चाहिए। सही तरीका यही है कि आप उसके सवालों का जवाब सही तरीके से दें। सबसे पहले तो बच्चे को उसके सवाल के लिए शाबाशी दें। आपको उसी समय समझ नहीं आ रहा है तो उससे समय मांग सकती हैं। उसके सवाल से संबंधित रिसर्च करें ताकि आप सही जवाब दे सकें। उसे समझाएं कि घर पर वह कोई भी सवाल पूछ सकता है।

जब बच्चे बॉडी और प्राइवेट पार्ट्स के बारे में पूछें या टच करें

सबसे पहली गलती हम यह करते हैं कि हम अपने बच्चों को प्राइवेट पार्ट्स के सही नाम नहीं बताते हैं। फालतू के किसी भी नाम से प्राइवेट पार्ट्स को बुलाना छोड़ दीजिए। आपको उसे सही शब्द बताने हैं। साथ ही, अगर वह अपने प्राइवेट पार्ट्स टच करता है तो यह बिल्कुल नॉर्मल है क्योंकि यह उन्हें अच्छा महसूस कराता है। लेकिन इस बारे में बात जरूर कीजिए। उसे बताइए कि कुछ चीजें सिर्फ प्राइवेसी में ही की जा सकती हैं। यदि वह बार- बार पब्लिक में ऐसा करता है तो उसे कोड वर्ड में मना कीजिए, जो वह समझ जाए। उसे दंतिये मत और ना गिल्टी महसूस कराइए, क्योंकि ऐसा करके आप उन्हें यह अहसास दिलाएंगी कि वे बहुत गलत कर रहे हैं।

आपका अनकम्फर्टेबल महसूस करना सही नहीं

 

 

बच्चों से सेक्स के बारे में बात करने को लेकर पेरेंट्स ही शर्माते हैं या यूं कहें कि अनकम्फर्टेबल महसूस करते हैं। और इसी का नतीजा है कि बच्चे गलत कॉन्सेप्ट सीख जाते हैं। यह बात याद रखनी चाहिए कि बच्चे बहुत कल्पना करते हैं। यदि उनका कॉन्सेप्ट गलत हुआ तो वे सेक्स के बारे में डर जाएंगे या जरूरत से ज्यादा कल्पना कर लेंगे। इसलिए, नॉर्मल और कैजुअल तरीके से सेक्स पर बात करना चाहिए। जितना संभव हो सके, इसे प्राकृतिक तरह से, इसकी एनाटॉमी और संबंधित बदलावों पर बात करें।

बच्चों से सेक्स के बारे में बात करने का सही समय

बच्चों से सेक्स के बारे में बात करने का कोई सही या गलत समय नहीं है। अगर बच्चा कोई सवाल पूछता है तो उसके उम्र के अनुसार उसे सही जवाब दें। अगर आप जवाब नहीं देंगे तो वह इंटरनेट पर ढूंढेगा। उन्हें यह पता होना चाहिए कि सेक्स से जुड़ा कोई भी सवाल निगेटिव नहीं है।

बच्चे अपने प्राइवेट पार्ट्स को लेकर जानना चाहते हैं क्योंकि हम उन्हें बताते हैं कि उन्हें ढक कर रखना चाहिए। वे जानना चाहेंगे कि उनकी बॉडी आपकी बॉडी या किसी और से कैसे अलग है। उनसे प्राइवेसी के बारे में बात करें। उन्हें पुरुष और महिला की बॉडी के इलस्ट्रेशन दिखाकर भी समझा सकती है कि बड़े होने पर बॉडी कैसे बदलती जाती है। जब भी वह कोई सवाल पूछे, उसे बताएं। उन्हें बताएं कि इसी अंतर की वजह से लड़कियां पेशाब के समय बैठती हैं और लड़के खड़े होकर पेशाब करते हैं। इस तरह से आप कम्यूनिकेशन के दरवाजे खोल कर रख सकती हैं और जान सकती हैं कि आपका बच्चा क्या सोच रहा है।

ऐसे करें बात सेक्स के बारे में

 

बच्चों से सेक्स से संबंधित बात करते समय क्लिनिकल रहें। कोई भी ऐसे शब्द या मुहावरे का इस्तेमाल नहीं करें, जो गन्दा हो या टैबू हो। साथ ही, लिंग पूर्वाग्रह के बारे में बात बिल्कुल ना करें। लड़कियां हमेशा ऐसा करती है।।।लड़के ऐसा करते हैं।।।इस तरह के वाक्यों का इस्तेमाल सही नहीं है।

3 से 7 साल की उम्र के बच्चों से सेक्स पर बात

जब आप अपने नन्हे से उसके प्राइवेट पार्ट्स के बारे में बात करती हैं तो कभी भी छी, यह गन्दा है, या यह गन्दी बात है, या इसको छूना मना है या यह गलत है, ना कहें। इसके बजाय उसे इन प्राइवेट पार्ट्स के फंक्शन के बारे में बताएं। उन्हें सिखाएं कि इन्हें साफ रखना कितना जरूरी है। इस उम्र में बेटे और बेटी दोनों को गुड टच और बैड टच के बारे में बताना चाहिए।

7 से 10 साल की उम्र के बच्चों से सेक्स पर बात

अमूमन यही वह उम्र होती है, जब बच्चे बड़े हो रहे होते हैं और उनके मन में सेक्स से संबंधित सवाल आना शुरू हो जाते हैं। इस उम्र के बच्चों से सेक्स पर बात करने के दौरान आपको कमिटमेंट और बॉन्डिंग एंगल पर बात करना चाहिए। चूंकि, यह सेक्स पर उसका पहला एक्सपोजर होगा तो अपने बच्चे को बताइए कि सेक्स एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और हमारे बॉडी का एक हिस्सा भी। उसे रिश्तों की खूबसूरती के बारे में बताइए लेकिन हिंसा या इस तरह की बातें बिल्कुल मत कीजिए।

10 से 13 साल की उम्र के बच्चों से सेक्स पर बात

यही वह समय है, जब आप बच्चों को बायोलॉजिकल फैक्ट्स के बारे में बता सकती हैं। साथ ही इमोशनल एंगल के बारे में भी बात करने की यही सही उम्र है। सेक्स पर बातचीत को बायोलॉजिकल बदलाव से जोड़कर बताने से सही रहेगा। अभी वे भी इसी को महसूस कर रहे होंगे तो बेहतरी से समझ पाएंगे। बेटियों को पीरियड्स के बारे में थोड़ा बताया जा सकता है कि किस तरह से प्यूबर्टी उनकी बॉडी में बदलाव लेकर आएगा।

13 से 15 साल की उम्र के बच्चों से सेक्स पर बात

बेटों को उनकी बॉडी में होने वाले बदलावों के बारे में बताने का यही सही समय है। नाइट फॉल के बारे में उन्हें बताना चाहिए, कहीं ऐसा न हो कि पहली बार वे डर जाएं या गिल्टी महसूस करें। इस उम्र में बच्चों को इंटरकोर्स पर बताया जा सकता है। उन्हें यह बताना जरूरी है कि सेक्स का मतलब कुछ पाना या पावर का चिह्न नहीं है।

 

ये भी पढ़ें –

इस तरह से डेवलप करें किशोर बेटे के साथ अपनी बॉन्डिंग 

न कहें बच्चों से ये 10 बातें 

 

पेरेंटिंग सम्बन्धी यह आलेख आपको कैसा लगा ?  अपनी प्रतिक्रियाएं जरूर भेजें। प्रतिक्रियाओं के साथ ही पेरेंटिंग से जुड़े सुझाव व लेख भी हमें ई-मेल करें- editor@grehlakshmi.com