19th September 2019
दूसरी बार प्रेगनेंट होने के लिए भी करनी चाहिए थोड़ी तैयारी
कितना अच्छा होता अगर हम अपनी मर्जी से पूरी जिंदगी को प्लान कर पाते। अक्सर हमारी बनी-बनाई योजनाओं के पुल मिनटों में टूट कर बिखर जाते हैं और हम उन पर जरा भी नियंत्रण नहीं कर पाते।कितना अच्छा होता कि हम पूरी योजना से गर्भधारण करते और शिशु को जन्म देते,इस तरह हमें जीवनशैली में आवश्यक सुधार लाने का भी पूरा मौका मिल जाता लेकिन ऐसी सुविधा कितनी महिलाओं को मिल पाती है। मासिक धर्म की गड़बड़ी व बर्थ कंट्रोल के उपाय वगैरह कारणों से ऐसा करना संभव नहीं हो पाता। इस किताब में भी गर्भधारण से पूर्व की तैयारी पर जोर दिया गया है हालांकि सभी महिलाएँ शुरूआत से ही इतना ध्यान न रख पाने के बावजूद स्वस्थ शिशुओं को जन्म देती हैं।
वैसे अब तो परिवार नियोजन की तकनीकें काफी कारगर होती जा रही हैं इसलिए आप बड़े आराम से अपनी प्रेगनेंसी की पूरी योजना बना सकती हैं। ज्यों ही इस बारे में सचेत हो,उसी दिन से अपने शरीर पर ध्यान देना शुरू कर दें। इस समय की गई देखभाल न केवल आपकी संतान, बल्कि उसकी संतान के लिए भी फायदेमंद होगी। भावी माता-पिता कई तरह से प्रजनन क्षमता बढ़ा सकते हैं ताकि भावी शिशु पूरी तरह स्वस्थ हो। यदि आप पहले से ही गर्भवती हो चुकी हैं, तो भी घबराएँ नहीं, बस यह अध्याय छोड़ कर पहले अध्याय से पढ़ना शुरू कर दें।
गर्भधारण करने से पहले माँ क्या करे
संपूर्ण शारीरिक जांच :- अपने पारिवारिक डॉक्टर से मिलें। पूरी जांच से पता चल जाएगा कि पहले से ही किसी इलाज की जरूरत तो नहीं है।
दंत चिकित्सक से मिलें :- जी हाँ डेंटिस्ट से मिल कर दांतों की अच्छी तरह जांच करवाएँ।एक्स-रे, फिलिंग, दाँत की सर्जरी वगैरह, जो भी करवाना हो इसी समय करवा लें क्योंकि गर्भावस्था के दौरान यह सब नहीं हो पाएगा।आपके मसूड़े भी स्वस्थ होने चाहिए। अध्ययनों से पता चला है कि मसूड़ों की बीमारी से प्रीटर्मबर्थ का खतरा बढ़ जाता है। घर में ही दाँतों व मसूड़ों की पूरी देखभाल शुरू कर दें।
डॉक्टर से मिल कर गर्भधारण से पूर्व जांच करवाएँ :- इस समय हड़बड़ाहट नहीं है इसलिए आसानी से डॉक्टर चुना जा सकता है।अपने आसपास तलाशें कि कौन सा डॉक्टर आपके लिए बेहतर चुनाव हो सकता है। फिर उनसे मुलाकात का समय लें चाहे आप किसी दाई से ही प्रसव क्यों न कराना चाहें, पर इस समय डॉक्टर से जाँच करा लेना आवश्यक है।यदि आप जांच के बाद हाई-रिस्क ग्रुप में नहीं आतीं तो अपनी मर्जी से डॉक्टर, दाई व प्रसव का तरीका चुन सकती हैं। यदि आप हाई-रिस्क ग्रुप में हैं तो माँ-शिशु के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए किसी विशेषज्ञ की सेवाएँ लेना ही बेहतर होगा।
अपनी प्रेगनेंसी हिस्ट्री पर नज़र डालें :- कहीं आपको पहले गर्भपात या समय से पहले प्रसवजैसी शिकायत तो नहीं रही? या फिर गर्भावस्था में कोई दूसरी जटिलता तो नहीं आई थी।डॉक्टर से पूछें कि इस विषय में क्या-क्या सावधानी बरती जा सकती है।
अपनी माँ की प्रेगनेंसी हिस्ट्री पर नज़र डालें :- पता लगाएँ कि आप भी डैश बेबी तो नहीं। 1971 तक गर्भपात रोकने के लिए डाईथाईइज़टिलसेजिसट्रल नामक जो दवा दी जाती थी वह प्रजनन अंगों को नुकसान पहुँचा सकती थी। यदि आप की मम्मा ने वो दवा ली थी तो आपको भी योनि और गर्भाशय मुख की कोलोपोस्कोपी करा लेनी चाहिए।
टेस्ट करवाएँ :-
गर्भधारण से पूर्व निम्नलिखित टेस्ट कराने की सलाह दी जा सकती है।
इलाज कराएँ :- अगर टेस्ट में किसी रोग का पता चले तो इलाज कराने में देर न करें। किसी भी तरह की सर्जरी या मेडीकल इलाज से न हिचकिचाएँ। अब आपको जननांगों से जुड़ी छोटी सी भी तकलीफ का भी इलाज करा लेना चाहिए; जैसे‒
टीकाकरण पूरा कराएँ :- यदि आपने पिछले दस वर्षों में टिटनेस‒डिपथीरिया बूस्टर नहीं लिया तो अवश्य लें। एम.एम.आर. वैक्सीन लें तो गर्भधारण से पूर्व तीन महीने तक इंतजारकर लें। हैपाटाइटिस की के बारे में भी सचेत रहें व सही समय पर चिकित्सा कराएँ।
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