साई बाबा की महिमा कुछ ऐसी है कि जिसने भी उनकी ईश्वरीय ताकत को आजमाया उसको जल्द ही अपनी गलती का अहसास हो गया। साई के आशीर्वाद और महिमा को हर किसी को कभी न कभी मानना ही पड़ता है। ऐसा ही कुछ उनके भक्तों के साथ भी हुआ था, जो पहले पहल उन्हें खास नहीं मानते थे। बल्कि वो लोग तो उन्हें बहुत ही हीन दृष्टि से देखा करते थे। मगर फिर समय ने उन्हें समझा दिया कि साईं की महिमा अपरमपार है। ऐसे ही भक्तों की कहानी जानते हैं-

 

आशीर्वाद में दिया निरोगी शरीर-  साईं के पास मध्यप्रदेश से एक शख्स आया, जो पिछले एक दशक से पेट दर्द से परेशान था। वो इतना परेशान था कि उसने आगे जीने की इच्छा ही छोड़ दी थी। लेकिन फिर वो साईं बाबा से मिलने आया और बोला मैंने कोई पाप नहीं किया फिर भी ऐसा क्यों हो रहा है। बाबा ने उनका दुख सुना तो आशीर्वाद के साथ प्रसाद भी दे दिया। इसको खाने के बाद ही उनका स्वास्थ्य अच्छा होने लगा और वो फिर कभी बीमार नहीं पड़े। 

निः संतान इंस्पेक्टर-   किसी गांव में एक निः संतान दंपत्ति था। एक जोड़े में से पति जो इंस्पेक्टर था कहीं खड़ा था तभी वहां से मेहतर अपनी पत्नी के साथ निकला। तो उसकी पत्नी इंस्पेक्टर की ओर देख कर बोली कि मनहूस चेहरा देख लिया, अब तो काम होने से रहा चलो घर वापस। ये सुनकर इंस्पेक्टर को बहुत दुख हुआ। उसने चार शादियां की थीं लेकिन संतान उसे किसी से नहीं थी। ऐसे में उसने सोचा कि नौकरी छोड़कर, संपत्ति चारों पत्नियों को देकर वो हिमालय चला जाएगा। वो आखिरी दिन ऑफिस में बैठा था कि तब ही एक दोस्त उससे मिलने आया और साईं के दर्शन करने को भी उसे मना लिया। जब बाबा ने उन्हें देखा तो मानो बिना बताए ही वो सब जानते थे। उन्होने फिर इंस्पेक्टर को आशीर्वाद भी दिया।  

 

धनवान का बेटा- बात 1910 की है, तब मुंबई के धनी व्यापारी के बेटे की तबीयत खराब हो गई थी। किसी ने उन्हें साईं के दर्शन करने को कहा। अब व्यापारी बेटे के साथ साईं के पास पहुंचा तो आशीर्वाद लेने के साथ मन ही मन साईं से अपनी परेशानी कह दी। साईं ने भी हल्की मुस्कान के बाद आशीर्वाद दिया। फिर सालों से बीमार देता अचानक से स्वस्थ्य रहने लगा। बेटे के स्वास्थ्य के ठीक होने पर व्यापारी एक बार फिर साईं के आपस आभार जताने आया। मगर उनके मुंह से बस यही निकला कि जीवन देना तो परमात्मा का काम है। 

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