एसेंशियल ऑयल पौधों से निकाला जाने वाला अर्क होता है। एसेंशियल ऑयल त्वचा को खूबसूरत बनाने के साथ.साथ कई बीमारियों को भी दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। वैसे तो कई प्रकार के एसेंशियल ऑयल है लेकिन, कुछ ऐसे ऑयल होते हैंए जो कई गुणों से संपन्न होते हैं। इन्हीं से में एक है पाइन ऑयल यानि चीड़ का तेल।। देखने में ये तेल साधारण दिखाई देता है लेकिन, इसके फायदे जानने के बाद आप भी अपनी दिनचर्या में शामिल करना पसंद कर सकती हैं। आपको बता दें कि इसे चीड़ का तेल भी बोला जाता है। इसके इस्तेमाल से सूजन को कम करने से लेकर भूख बढ़ाने तक की समस्या को आसानी से दूर किया जा सकता है। तो बिना देर किए हुए चलिए जानते हैं इसके फायदों के बारे में।

चीड़ क्या है

हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला चीड़ के पेड़ की लम्बाई 30.35 मीटर तक की होती है। अधिकांश लोग इसकी लम्बाई और पत्तियों के आकार से ही इसे पहचान लेते हैं। इसका तना गहरे भूरे रंग का खुरदुरा गोल आकर में होता है। इसके पत्ते 3 के गुच्छे में होते हैं जिनकी लम्बाई 20.30 सेमी होती है, इसके फल देवदारु के फल जैसे ही होते हैं लेकिन ये आकार में कुछ बड़े, शंक्वाकार, पिरामिड आकार के नुकीले होते हैं। मार्च से नवम्बर के बीच में इसमें फल और फूल निकलते हैं।

मुहांसों से राहत

बरसात के साथ साथ गर्मियों के मौसम में अनचाहे मुंहासों का शरीर पर निकलना कोई आम बात नहीं है। ऐसे में इन मुंहासे की समस्या से निजात पाने के लिए पाइन ऑयल एक बेस्ट उपचार हो सकता है। कहा जाता है कि चीड़ के आर्क में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। ये गुण त्वचा पर पैदा होने वाले बैक्टीरिया को नष्ट करने करने में काफी हेल्प करते हैंए जिकसी वजह से मुंहासे नहीं निकलते हैं। इसके लिए ज़रूरी है नियमित मसय पर इसका इस्तेमाल करना।

 

खुजली की समस्या

गर्मियों के मौसम के साथ बारिश में भी कई त्वचा इन्फेक्शन देखा जाता है। ऐसे में त्वचा इन्फेक्शन के साथ.साथ खुजली की समस्या को भी दूर करने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। इस तेल में मौजूद बैक्टीरिया को नष्ट करने वाला गुण सूखे और खुजली युक्त चकत्तों को आसानी से दूर कर सकता है। इसके इस्तेमाल से फंगस की समस्या को भी आसानी से दूर किया जा सकता है। इसके अलावा जलने के कारण हुए जख्म को जल्दी से ठीक करने के लिए भी इसका इस्तेमाल बेस्ट माना जाता है।

 

आर्थराइटिस में फायदेमंद 

आर्थराइटिस हड्डियों से जुडी समस्या है जिसमे दर्द व सूजन का सामना करना पड़ता है। चीड़ के तेल में सूजन विरोधी गुण मौजूद है जो आर्थराइटिस के सूजन को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा जोड़ो की सूजन के लिए सूजन विरोधी दवाइयां फायदेमंद होता है। यदि आर्थराइटिस से परेशान है, तो चीड़ के तेल का उपयोग करना चाहिए।

 

सूजन को कम करने में फायदेमंद 

चीड़ के तेल में इंफ्लामेन्ट्री गुण होता है जो सूजन को कम करने में सहायक माना जाता है। शरीर में किसी तरह की सूजन की समस्या को रोकने में चीड़ के तेल से मालिश करनी चाहिए।

 

चीड़ के तेल का उपयोग कैसे किया जाता है

गठिया पीड़ित लोगो चीड़ तेल का उपयोग मालिश के लिए कर सकते हैं।

किसी तरह के घाव व जले पर चीड़ के तेल का उपयोग कर सकते हैं।

त्वचा में किसी तरह के इंफेक्शन होने पर इस तेल को प्रभावित जगह पर लगा सकते है।

यदि सर्दी से परेशान है, तो चीड़ के तेल को सीने पर लगाने से आराम मिलता है। 

 

चीड़ के तेल के नुकसान क्या हैं

चीड़ के तेल में कुछ विषैले पदार्थ उपस्तिथ जो स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते है। इसलिए इस तेल का उपयोग भोजन में नहीं किया जाता है।

गर्भवती महिलाओं और स्तनपान करने वाली महिलाओं को चीड़ के तेल का उपयोग हानिकारक होता है। यह त्वचा पर एलर्जिक प्रतिक्रिया देता है।

चीड़ के तेल के प्रभाव पड़ने पर कुछ लोगो में निगलने में तकलीफ या गले में जलन की समस्या हो सकती है।

कुछ लोगो में गंभीर समस्या उत्पन्न कर सकता हैए जिनमे असामान्य हृदय गति, भ्रम की स्थिति, सिरदर्द, बेहोशी आना आदि।

 

सामान्य सर्दी जुकाम में फायदेमंद

सामान्य सर्दी.जुकाम की समस्या से राहत पाने के लिए भी चीड़ के तेल का उपयोग किया जा सकता है। यह बात ब्लैक पाइन ;चीड़ का एक प्रकारद्ध से संबंधित एक शोध से स्पष्ट होती है। शोध में माना गया है कि चीड़ से तैयार टार को छाती और पीठ पर लगाने से सामान्य सर्दी से राहत पाने में मदद मिल सकती है। वहीं, एक अन्य शोध में इस बात का स्पष्ट जिक्र मिलता है कि चीड़ के टार से भी पाइन ऑयल बनाया जाता है। इस आधार पर कहना गलत नहीं होगा कि चीड़ के तेल का उपयोग कर सामान्य सर्दी को दूर करने में मदद मिल सकती है। फिलहाल, इस विषय पर अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है।

 

कान के रोगों में उपयोगी है चीड़

कान से चिपचिपे तरल का स्राव होना और कान में दर्द और सूजनए ये कान से जुड़ी मुख्य समस्याएं हैं। अगर आप इन समस्याओं से परेशान रहते हैं तो चीड़ का उपयोग करें। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार देवदारु, कूठ और सरल के काष्ठों पर क्षौम वत्र लपेट कर तिल तैल में भिगोकर जलाएं। इसे जलाने से मिलने वाले तेल की एक दो बूँद कान में डालेंण् यह तेल कान के दर्द, सूजन और स्राव से जल्दी आराम दिलाता है।

 

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