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श्रीराम का गृहप्रवेश- गृहलक्ष्मी की कविता

Shri Ram Kavita: जिनकी कृपा से पाते हैं हम जीवन में सुख और चैनउन्हीं प्रभु को बेघर देख ,मन होता था बेचैनघर रहेंगे दिलवाकर, भक्तों ने लिया फिर ठानआयीं बहुतेरी अड़चनें,गंवानी पड़ी अनेकों जानकदम डिगे नहीं बल्कि बढ़ता गया था जोशउड़ा दिये थे उन्होंने हुक्मरानों तक के होशअचरज,मेरे ही भारत में उठे राम के अस्तित्व […]

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कौशल्या का दर्द-गृहलक्ष्मी की कविता

Poem in Hindi: कौशल्या के दर्द को आज मैं समझ पाई हूं,रखकर सीने पर पत्थर कैसे राम को वन भेजा होगा?अपने प्रिय पुत्र को राम बनाने की खातिर ,एक एक पल उसका युगों सा बीता होगा। वो माँ ही क्या जो पुत्र का ,दर्द समझ ही नहीं पाये।जान ना पाए उसके मन की थाह,उसको राम […]

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नया वर्ष आपके लिए शुभ हो।

Hindi Poem: स्वागतम! नूतन वर्ष तुम्हारानव पहल नव हर्ष नवल प्रभात होपग पग में खुशियाँ की बारिश होमहक उठे संसार रुपी उपवन सारा🌹 नई उम्मीदें उम्मीदों का रंग हो सुनहरानव जोश नव ओज नव उल्लास होसर्व ओर उजास होफैले चहुंओर उजियारान हो कोई दीन दुखी औ बेचारास्वागतम!नूतन वर्ष तुम्हारा 🌹 सुखमय आंगन सबका घर होखुशियाँ […]

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अपनी प्रेम कहानी ऐसी बन जाए-गृहलक्ष्मी की कविता

Hindi Kavita: हे प्रिय! काश हमारी भी ऐसी ही,प्रेम कहानी बनी रह जाए।उम्र साठ के बाद भी,ये साठ-गांठ अपनी,और मजबूत बन जाए। मैं तेरी आहट को पहचानूँ,तू मेरी खामोशी भांप जाए।तुझे तलब़ लगने से पहले,कांपती हाथों से चाय लेकर,तेरे ही सामने आ जाऊं। भले कोई और नाम ना रहे याद,दोनों के लफ़्ज संग ‘शानू’ कह […]

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साड़ी हमारी संस्कृति की पहचान-गृहलक्ष्मी की कविता

Hindi Poem: कुछ एक बुद्धिजीवियों को,साड़ी में गंव‌ई नजर आती है,पर सच कहूं मित्रों मुझे तो,साड़ी में शालीनता नजर आती है। नहीं है कोई दोष हमारे अन्य परिधानों में,पर कुछ झूठे दिखावे की खातिर,क्यों जुटें हैं हम……अपनी पहचान मिटाने में? यह सब साजिश ही है उठीं,संस्कृति हमारी मिटाने को।जो बढ़ावा दे रहे हम,पाश्चात्य परिधानों को। […]

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चलो आओ मिलकर दिवाली मनाएं-गृहलक्ष्मी की कविता

Diwali Poem: मिट्टी के दीप खरीदें ,देसी कपास की बत्ती बनाएं ,कच्ची धनी का तेल डालकर,मजदूर की झोपड़ी जगमगा आएंचलो आओ मिलकर दिवाली मनाएं।। रंगीली चमकीली कंडील ले आएं,घर आंगन में इन्हें सजाएं,अपने आलय की शोभा के साथ,गरीबों का सदन भी रोशन कर आएं,चलो आओ मिलकर दिवाली मनाएं।। कुछ सूखे रंग ले आएं,हटड़ी संग अल्पना […]

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बेटी दिवस-गृहलक्ष्मी की कविता

Hindi Poem: मेरी प्यारी बेटी श्रुति जब से तू आई मेरी जिंदगी में,जिंदगी मेरी ये गुलज़ार हुई……!पाकर स्पर्श प्यारा तेरा मैं नौ नी हाल हुईतेरी तोतली बोली मेरे कानों में मिसरी घोलेतुझे यूं लड़खड़ाते हुए चलते देख कर मेरा मन डोलेजब तू कहती अम्मा मुझेमिल जाता है सर्वस्व मुझेतू मेरे घर की लाडो रानीतुझ में […]

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मां जगत जननी-गृहलक्ष्मी की कविता

Hindi Poem: मां जगत जननी इस बार तुम,कन्याओं की रक्षा करना।घूम रहे हैं पापी जहां-तहां,आकर इनका भक्षण करना। छोटे-छोटे फूल ये बच्चे,कैसे ये लड़ पाएंगे।मानव रूप में घूमें भेड़िए,मासूम किस विधि बच पाएंगे। आकर मां तुम ओ चामुंडा,सभी नर पिशाचों का वध करो।कोमल कोमल पंखों वाली ये चिड़ियां,इनकी उड़ान सुनिश्चित करो। तेरा ही रूप है […]

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मां के चले जाने के बाद-गृहलक्ष्मी की कविता

Hindi Kavita: कितना कुछ बदल जाता हैजीवन में बेटियों केबस एक मां के चले जाने के बादकि स्वीकारा नहीं जाताजाने क्यों यह बदलाव?नहीं होती हैं रौनकें कोईन बचपन खिलखिलाता हैभले ही उम्र कितनी हो बेटियों कीतन से कम मगर मन से तोबेटियां बूढी-सी बन जाती है।कितना कुछ बदल जाता हैजीवन में बेटियों के बस एक […]

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अपनी प्रेम कहानी ऐसी बन जाए-गृहलक्ष्मी की कविता

Hindi Poem: हे प्रिय! काश हमारी भी ऐसी ही,प्रेम कहानी बनी रह जाए।उम्र साठ के बाद भी,ये साठ-गांठ अपनी,और मजबूत बन जाए।मैं तेरी आहट को पहचानूँ,तू मेरी खामोशी भांप जाए।तुझे तलब़ लगने से पहले,कांपती हाथों से चाय लेकर,तेरे ही सामने आ जाऊं।भले कोई और नाम ना रहे याद,दोनों के लफ़्ज संग ‘शानू’ कह जाए।मेरी राह […]