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आखिरी पत्र-गृहलक्ष्मी की कहानियां

Last Letter Story: सुबह करीब 11:30 बजे दरवाजे की घंटी बजती है। घंटी सुनकर आदित्य अपनी पत्नी रमा से कहता है,”अरे रमा! जरा देखो तो कौन है। मैं ऑफिस का जरूरी काम कर रहा हूं।” रमा दरवाजा खोलती है तो एक कोरियर आया था। उस पर लिखा था- ‘ आदित्य अग्रवाल, सन ऑफ नीलिमा अग्रवाल’।रमा […]

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पछतावा-गृहलक्ष्मी की कहानियां

Pachtava Hindi Story: निधि अपने घर से भाग कर ट्रेन से जा रही थी गुस्से में क्योकिं उसके दादा जी से उसकी लड़ाई हो गई थी, उसके दादा जी उसको बाहर आने जाने से टोकते रहते थे, बाहर जाने से घूमने फिरने में रोक टोक करतें थे, उसको घुटन लगने लगी थी अपने ही घर […]

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किनारा-गृहलक्ष्मी की कहानियां

Kinara: तुम यहाँ?” “बहन के पास आई थी पर तुम यहाँ कैसे?” “मैं पिछले पाँच सालों से मुम्बई में ही हूँ। दीदी यहाँ कब से हैं?” “पिछले हफ्ते ही चेन्नई से ट्रांसफर हुआ है।” कब के बिछड़े हुए दोनों इस अपार्टमेंट के सुपरमार्केट में आ मिलेंगे ऐसा किसने सोचा था। तीन बहनों में सबसे खूबसूरत […]

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मां का वजूद-गृहलक्ष्मी की कहानियां

Maa ka Vajud: घर में छोटी सी पार्टी रखी थी, प्राची की बेटी अवनि और बेटा आकाश दोनों ही अपनी पढ़ाई करके कामयाबी की सीढ़ी पर कदम रख चुके थे । पर प्राची का मन पार्टी के दौरान भी थोड़ा उदास और मन खिन्न था ‌रह-रह कर उसके पति अनुज की मजाक में की हुई […]

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हिसाब बराबर-गृहलक्ष्मी की लघु कहानी

Hisab Barabar Story: “अरे बोला ना साॅरी ….. अब क्यों बेफालतू में बात को बढ़ा रही हो ?? चलो…. अपना हुलिया थोड़ा ठीक करो और बाहर चलो। सब वेट कर रहे हैं । ,,   थोड़ी देर पहले ही अजय ने सबके सामने रूपाली को  थप्पड़ मारा था । कारण ये था कि आज अजय और […]

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जीवन में आत्मविश्वास की महत्ता-गृहलक्ष्मी की कहानियां

Self Confidence Story: किसी भी स्त्री और पुरुष की सफलता का इतिहास देखिए तो उसकी कामयाबी में आत्मविश्वास का बहुत बड़ा हाथ होता है। आत्मविश्वास से लबरेज इंसान के लिए कोई भी कार्य नामुमकिन और असंभव नहीं होता तथा उसके कार्य करने की गति भी दोगुनी हो जाती है। यदि हम अपने अंदर आत्मविश्वास से […]

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कर्तव्य का पालन करना-गृहलक्ष्मी की कहानियां

Kartavya ka Palan: डॉक्टर- डॉक्टर – डॉक्टर कहां हैं डॉक्टर, सिस्टर- सिस्टर  हॉस्पिटल के कॉरिडोर में  स्ट्रेचर पर लेटे अपने पति सतीश के सिर पर अपनी साड़ी के पल्लू के टुकड़े को बांधे अपनी आखों से बह रहे आंसुओं की परवाह ना करते हुए पागलों की तरह कीर्ति हॉस्पिटल में  डॉक्टर को ढूंढ रही थी।  […]

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अलगाव—गृहलक्ष्मी की लघु कहानी

Hindi Kahaniya: आशीष और सुभाष दोनों भाइयों में बड़ी ही घनिष्ठता थी।दोनों एक दूसरे से अपनी सभी सुख-दुख बांटा करते थे।परंतु आशीष के विवाह के बाद धीरे-धीरे स्थिति बदलने लगी माता पिता के साथ आशीष और सुभाष दोनों रहते थे। ना जाने बचपन की हंसी खेल कब बड़े होते हैं मुद्दों में बदलने लग गए […]

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करेले की खिचड़ी-गृ​हलक्ष्मी की कहानियां

Karele ki Kichadi Story: अरे मम्मा आज तो अधीरा बहुत अच्छी खिचड़ी ले के आई थी मुझे बहुत पसंद आई ” विधि स्कूल का बैग रखते हुए स्वाती जी से बोली।स्वाती जी- अच्छा ये बताओ ऐसी किस चीज़ की खिचड़ी थी जो तुम्हें बहुत पसन्द आई। मैं इतनी तरह-तरह की खिचड़ी बनाती हूँ , तब […]

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हिसाब का आखिरी पन्ना-गृहलक्ष्मी की कहानियां

Hisab Story: वो कहकर गये है, कि आज सैलरी की आखिरी तारीख है। आज तो लिस्ट बना ही लेती हूँ। राशन की और इतनी भीषण गर्मी में पंखे-कूलर काम ही नही कर रहे है। सोच रही हूँ कि इस साल एक नई एसी ले ही लूँ। लेकिन…सोचते हूए शुभ्रा अचानक ही उसे सुबह हुए प्रवीण […]