मीता की कोई संतान नहीं थी। इसलिए वह बहुत उदास रहती थी। हर एक इंसान जन्मजात कुछ संस्कार, मनोवृत्तियां और अभिलाषाएं लेकर पैदा होता है जिनसे नाता तोड़ना कठिन होता है। मीता की संतान के लिए चाह, एक ऐसी ही चाह थी। वह दिन-रात संतति प्राप्ति की कामना में डूबी रहती। मां बाप पिछले वर्ष, […]
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परवरिश
बीस साल बाद नंदनी अपनी बेटी के साथ भारत आई, भानू और भाभी ने दिल से स्वागत किया। नंदनी के साथ आई उसकी बेटी तृष्णा। डॉ. तृष्णा को देखकर सब हैरान थे।
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बच्चा गोद लेकर जीवन में करें खुशियों का आगाज़
जो लोग समृद्ध हैं, उनके अपने बच्चे भी हों, तो भी वे कम से
कम एक बच्चे को गोद जरूर लें। अगर वे गोद लेते वक्त
लड़का- लड़की में फर्क न करें तो ज्यादा अच्छी बात होगी।