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आध्यात्मिक जीवन के चार उपाय – श्री श्री रविशंकर

समर्पण शब्द का अर्थ बहुत गलत समझा जाता है। समर्पण गुलामी नहीं। समर्पण ऐसी वस्तु नहीं जो किसी पर थोपी जा सके। समर्पण तो एक घटना है। प्रेम, श्रद्धा और अहोभाव के क्षणों में समर्पण की घटना घटती है।

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वर्तमान क्षण में रहो – श्री श्री रविशंकर

संसार में जितना भी सृजनात्मक कार्य हुआ है, चाहे वह नृत्य के क्षेत्र में, संगीत में, ड्रामा या चित्रकला के क्षेत्र में, वह सब कुछ किसी अज्ञात शक्ति या केन्द्र से संचालित हुआ। बस सहज रूप से घट गया। तुम उसके कर्ता नहीं हो।