बात वर्षों पुरानी है, जब मैं छठी कक्षा में थी और गर्मियों की छुट्टियों में हम अपने ननिहाल दिल्ली गए हुए थे। नानी मां ने कच्चे आम का अचार बनाने के लिए आम के टुकड़े, हल्दी, नमक लगाकर छत पर धूप में सूखने को रखे थे। नानी मां ने मुझसे बीच-बीच में छत पर जाकर उन टुकड़ों को थोड़ा उलट-पलट करने को कहा। मैंने ऊपर जाकर हाथ से उलट-पुलट किया, जिससे हल्दी का रंग मेरी हथेलियों पर लग गया।

मैंने नीचे आकर खुश होते हुए मां को हाथ दिखाते हुए कहा, ‘मां, आज तो मेरे हाथ पीले हो गए। और यह बात उछलते हुए सबको बताने लगी। नानी मां ने मुझे अपने पास बिठाकर हाथ पीले हो गए, का अर्थ समझाया और हाथों को अच्छी तरह धोने को कहा तो मैं शर्म से लाल हो गई।