गृहलक्ष्मी की कहानियां : एक बार सर्दियों की छुट्टियों मनाने मैं अपनी दीदी के घर गई हुई थी। चूंकि टीवी बेडरुम में रखी हुई थी। अत: मेरा ज्यादातर समय दीदी के कमरे में ही बीतता था। एक दिन जीजाजी ऑफिस से आए तो मैं आराम से उनके बेड पर लेटी हुई टी. वी देख रही थी । थके होने के कारण जीजाजी ने मुझसे व दीदी से बे़ड खाली करने को कहा पर चूकिं हम काफी देर से रजाई में घुसे हुए थे अत: बिस्तर से निकलने का मन ही नहीं कर रहा था। बार-बार कहने पर भी जब हमने जीजाजी का बेड नहीं छोड़ा तो जीजाजी मुझसे कहने लगे कि साली साहिबा ये तो बड़ी नाइंसाफी है कि मैं तो ठंड से ठिठुर रहा हूं और आप मेरे बेड पर जमी हुई हैं। जीजाजी की बात सुनते ही मैं तैश में आ्कर बोली, वाह जीजाजी, आपको तो मेरा एहसान मानना चाहिए कि इतनी ठंड में आपका बिस्तर गरम कर दिया । (दरअसल बड़ी देर से हमारे बैठे होने के कारण बिस्तर में गरमाहट आ गई थी) मेरी बात सुनकर जीजाजी समेत सभी लोग ठहा्का मारकर हंस पड़े। जब मैंने अपनी कही हुई बात पर गौर किया तो मैं शर्म से लाल हो गई।
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