चन्द्रमा ग्रह को खगोल विज्ञान में पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह माना गया है। चन्द्रमा से ही समुन्द्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है। चन्द्रमा मन के साथ-साथ औषधि, मोती, जल, अश्व, दूध और बीज आदि का भी कारक है।
चन्द्रमा मन का कारक है, इसलिए चन्द्रमा का पीड़ित होना सीधे तौर पर मनुष्य के मन को पीड़ित कर देता है। उसका जीवन रंगहीन हो जाता है, मन में हर समय किसी न किसी विषय को लेकर चिन्ता बनी रहती है, घर में छोटी-छोटी बातों को लेकर कलह रहती है, माता के साथ उसके संबंध खराब होने लगते हैं।
यह जल संबंधित समस्याओं को पैदा कर देता है, दूध का बार-बार निकलना भी चन्द्रमा की खराब स्थिति दर्शाता है। चन्द्रमा का खराब होना मनुष्य को मानसिक रूप से पीड़ित कर देता है, बार-बार मन में आत्महत्या के विचार आते हैं, मन में घबराहट होती है, स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है।
चन्द्रमा अशुभ प्रभाव दे रहा हो तो सर्वप्रथम प्रात: माता के पैर छूने चाहिए। इससे चन्द्रमा का अशुभ प्रभाव समाप्त होने लगता है।
‘ऊं नम: शिवाय’ मंत्र का प्रतिदिन जप करें। सोमवार को सफेद वस्तुएं दान करें जैसे दूध, दही, सफेद वस्त्र आदि। संभव हो तो किसी स्त्री को मोती का दान करें। मोती को बहते हुए पानी में प्रवाहित करने से चन्द्रमा का अशुभ प्रभाव जीवन से दूर हो जाता है। किसी निर्धन स्त्री को चावल का दान दें।
किसी स्त्री की मदद करने से चन्द्रमा प्रसन्न हो जाता है। अस्पताल में बीमार व्यक्ति के परिवारजनों को भोजन कराएं।
किसी धर्मिक स्थान से शंख खरीद कर उसको दान करने से भी चन्द्रमा प्रसन्न होता है। पानी अथवा दूध का दान दें। सोमवार का व्रत करने से चन्द्रमा बलवान होता है। प्रतिदिन शिवलिंग पर जल अर्पण करें।
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